डायोड : डायोड फारवर्ड बायस और डायोड रिवर्स बॉयस
डायोड फारवर्ड बायस
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Diode in Forward Bias |
डायोड-एक P-N जंक्शन डायोड P-टाइप और N-
टाइप सेमीकन्डक्टर के मिलाने से बनता है
जंक्शन डायोड के N सैक्शन को ऋणात्मक वोल्ट
और Pसैक्शन को धनात्मक वोल्ट दी जाती है
तो P-टाइप सेमीकन्डक्टर से N-टाइप सेमीकन्डक्टर
की ओर इलेक्ट्रॉन्स बहने लगते हैं, जिसे
फारवर्ड बायसिंग (forward biasing) कहते हैं
डायोड रिवर्स बॉयस
यदि P-टाइप सेमीकन्डक्टर को ऋणात्मक
विद्युत और N-टाइप सेमीकन्डक्टर। को धनात्मक
विद्युत दी जाये तो P-टाइप सेमीकन्डक्टर से
बहती है, जिसे रिवर्स बायसिंग
क्रिया वन वे ट्रेफिक के समान है, जिसके
है, लेकिन दिशातही बदलती। सेमीकन्डक्टर
होकर एक तरफ ही करेन्ट बह सकती है
इसी विशेषता के कारण सेमीकन्डक्टर डायोड का
प्रयोग रेक्टिफिकेशन और डिटेक्शन इत्यादि
कार्यों में होता है। सेमीकन्डक्टर डायोड भी डायोड वाल्व
की तरह ही कार्य करता है
Diode
|
डायोड
वोल्टेज कैपेसिटी करेन्टकैपेसिटी
(एम्पीयर में)
IN4001
50V
1
IN4002
100V
1
IN4003
200V
1
IN4004
400V
1
IN4005
600V
1
IN4006 800V
1
IN4007 1000v 1
IN5400
50V
3
IN5401
100V
3
IN5402 200V 3
IN5403
300V 3
IN5404 400v 3
IN5405
500V
3
IN5406
600V
3
IN5407
800V
3
IN5408
1000V 3
BY127 1200V 1
जीनर डायोड
जीनर डायोड (ZenerDiode)-जीनर डायोड रिवर्स
ब्रेक डाउन की विशेषता पर आधारित होता
है फारवर्ड बायसिंग के समय जीनर डायोड एक ऑफ
स्विच के समान कार्य करता है।
रिवर्स
वोल्टेज देने पर एनोड निगेटिव होता है, जिससे
करेन्ट प्रवाह रुक जाता है, लेकिन रिवर्स
बायस्ड जीनर डायोड की वोल्टेज कैपेसिटी से अधिक
बढ़ाने पर करेन्ट प्रवाह होने लगता है
अधिकतम रिवर्स वोल्टेज को जीनर वोल्टेज या ब्रेक
डाउन वोल्टेज कहते हैं। जीनर डायोड
अपने इस गुण के कारण एक अच्छा रेग्यूलेटर बनाता
है। इसीलिए जीनर डायोड का प्रयोग
वोल्टेज रेग्यूलेटर सर्किट में होता है। जीनर डायोड
जितनी वोल्ट कैपेसिटी का होता है वह उस
पर अंकित रहती हैं। ब्रेक डाउन वोल्टेज को इसकी
वोल्टेज कैपेसिटी माना जा सकता है। जीनर
डायोड प्रायः आउटपुट वोल्टेज की पैरेलल में लगाते
हैं। पावर सप्लाई सर्किटों
में अधिकांशतः
3V से 120V तक के जीनर डायोड प्रयोग में देखे जा सकते हैं
LED डायोड
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LED diode |
लाइट इमिटिंग डायोड
(LightEmittingDiode)- L.E.D.गैलियम
(Geleium) कम्पाउण्ड
से बना एक विशेष बनावट का PN जंक्शन डायोड होता
है। इसे आवश्यक वोल्टेज या सिगनल
देने पर प्रकाश निकलता है। यह बहुत कम वोल्टेज पर
कार्य करत हैं। इसलिये
स्पीकर के
पैरेलल में लगाने से भी यह ध्वनि की फ्रीक्वेन्सी के
अनुसार रोशनी उत्पन्न करता है। अधिकाशंतः
ये लाल, हरे, पीले रंगों में बनाये जाते हैं। यदि एल.
ई. डी. को इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का
श्रृंगार कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। इस
प्रकार के एल. ई. डी. भी आते हैं जो
रिवर्स व फारवर्ड बायस पर अलग-अलग रंग देते हैं।
प्रायः एल. ई. डी. भी डायोड की तरह
उल्टे लग जाने पर कार्य नहीं करते
Photo Diode
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Photo Diode |
फोटोडायोड (Photo Diode)- फोटो डायोड के
ऊपर जब प्रकाश पड़ता है तो
इसमें करेन्ट
बहने लगती है। फोटो डायोड और एल. डी. आर. की
कार्य-प्रणाली में विशेष अन्तर यह
होता
है कि फोटो डायोड पर प्रकाश की तीव्रता का कोई
विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। फोटो डायोड में
प्लास्टिक या कांच की खिड़की होती है, जिसमें होकर
प्रकाश डायोड तक जाता है। फोटो
डायोड
जिस समय कार्य नहीं कर रहा होता है उस समय यह
सर्किट में ओपन स्थिति में होता
है। फोटो
डायोड को लगाते समय इसकी पोलेरिटी का ध्यान
रखना पड़ता है यह कन्डक्शन स्थिति में
0.6V अवश्य ड्राप करता है, जिसके कारण इसके
साथ पोटेन्शियल डिवाइडर नहीं बनाना पड़ता
ट्यूनिंग डायोड
ट्यूनिंग डायोड (Tunning Diode)-ट्यूनिंग
डायोड को वेरेक्टर डायोड भी कहते हैं। वेरेक्टर
का अर्थ वेरिएबल कैपेसिटी डायोड होता है। इस प्रकार
के डायोड पर वोल्टेज देने से ये
परिवर्तित वोल्टेज के अनुसार अपनी कैपेस्टेिन्स बदलते
हैं। वेरेक्टर | डायोड 20PF से लेकर
500PF तक के मान के होते हैं। जहां कम मान के
परिर्वतनीय कैपेसिटर प्रयोग नहीं किए जा
सकते वहाँ वेरेक्टर डायोड का प्रयोग किया जाता है।
जिसके कारण इनका उपयोग इलैक्ट्रॉनिक
ट्यूनर में देखा जा सकता है
Optocoupler ओप्टो कपलर
![डायोड की जानकारी Diode information डायोड की जानकारी Diode information](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK0pHANu2xc0k8F_tuGDk0PwQ4gttyFZ5wQyH57GOOEujA5CnxRluAYQpvBoUWDdlk7guNJkK9BSQEw_0Mrd_6USgdlakpmhouipQjJHzW8DzyIJmC5jgMwNL9gjLd_Jem3tBb63oOSCY/w320-h141/optocoupler+ic+.jpg)
Optocoupler
![डायोड की जानकारी Diode information डायोड की जानकारी Diode information](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK0pHANu2xc0k8F_tuGDk0PwQ4gttyFZ5wQyH57GOOEujA5CnxRluAYQpvBoUWDdlk7guNJkK9BSQEw_0Mrd_6USgdlakpmhouipQjJHzW8DzyIJmC5jgMwNL9gjLd_Jem3tBb63oOSCY/w320-h141/optocoupler+ic+.jpg)
ओप्टो कपलर (Opto Cupler)-आधुनिक तकनीक
में ओप्टो कपलर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन
बढ़ता जा रहा है। ओप्टो कपलर द्वारा ओप्टिकल तरीके से
इलैक्ट्रॉनिक सर्किट की कपलिंग की
जाती है । इलैक्ट्रॉनिक रिले, सप्लाई
कन्ट्रोलर, टेलीफोन उपकरणों से लेकर कम्प्यूटर
तकनीक
तक में इनका प्रयोग देखा जा सकता। है। इसके अन्दर
दो भाग कार्य करते हैं
1 एमीटर
2 डिटेक्टर
एमीटर—यह भाग एल. ई. डी. से बना होता है। जब बाहर
से कुछ निश्चित वोल्टेज इस
पर
पहुंचती है तो यह ऑन होकर अपना कार्य प्रारम्भ कर
देता है। इसके विपरीत यदि
एल. ई.
डी. को कम करेन्ट पहुंचे या इसमें से प्रकाश ने निकले तो
यह ऑफ स्थिति में आ जाता है
डिटेक्टर-डिटेक्टर के रूप में फोटो सैल, फोटो
डायोड, फोटो ट्रांजिस्टर या फोटो रेजिस्टेन्स
प्रयोग की जाती हैं। जब एमीटर भाग में लगी एल. ई. डी.
से इस पर प्रकाश की
किरणें
पड़ती हैं, तब उससे प्राप्त आउटपुट करेन्ट इनपुट
सिगनल के समानुपाती होती है। एमीटर और
डिटेक्टर में आपस में काई विद्युतीय सम्पर्क नहीं होता
इसीलिए इनके बीच बहुत ही कम
कैपसिटेन्स बनता है
ओप्टो कपलर में दो लाइनों में पिन वाली आई. सी. की
तरह प्रतीत होता है इसमें से प्रकाश की किरणें बाहर
नहीं निकल सकतीं इसलिए इनपुट सिगनल देकर
पूर्णतया सुरक्षित सिगनल के रूप में आउटपुट प्राप्त कर
ली जाती है, जिससे यह इलैक्ट्रॉनिक रिले का कार्य करती है
infrared led
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infrared led |
इन्फ्रा रैड (Infra-Red) एल. ई. डी. -इन्फ्रा
रैड एल. ई. डी. देखने में तो सफेद एल.
ई. डी. की तरह लगती है, लेकिन इसे वोल्टेज दिए जायें तो यह
साधारण एल. ई. डी. की तरह प्रकाश नहीं देती। यह
वोल्टेज मिलने पर इन्फ्रा रेड किरणें पैदा
करती है। यदि इससे उत्पन्न इन्फ्रा रैड तंगों को लाल रंग
के शीशे से गुजारा
जाये तो
उनकी शक्ति बढ़ जाती है। इसके इस गुण के
कारण इसका प्रयोग रिमोट कन्ट्रोल यूनिट में
किया जाता है
infrared receiver
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infrared receiver |
इन्फ्रारेड(Infra-Red) डायोड -जब इन्फ्रा रेड
डायोड पर इन्फ्रा रेडतरगे। पड़ती है तो यह
क्रियाशील होकर आगे के सर्किट को क्रियान्वित कराता
है । इन्फ्रा रेड डायोड को यदि सीधी
इनफैराड तंरगे भेजी जाये तो यह सही कार्य नहीं कर
पाता। जिसके लिए इसे पल्सेज
के रूप में
इन्फ्रा रैड तरंगें भेजते हैं। इसके ऊपर लाल रंग का
फिल्टर इसलिए प्रयोग करते हैं, ताकि
इन्फ्रा रैड तरंगों के अतिरिक्त यह अन्य तरगों या प्रकाश
इत्यादि पर कार्य न
करने लगे। इसका
प्रयोग रिमोट ट्रांसमीटर यूनिट में किया जाता है। वर्तमान
समय में टेलीविजन, वी. सी. आर.
तथा अन्य रिमोट ऑपरेटिड उपकरणों में इसका प्रयोग
देखा जा सकता है
display 7 segmentos
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display 7 Segmentos |
इन्फ्रा रैड डायोड का संकेत (7) डिस्पले (Display)-
डिजिटल सर्किटों की मोनीटरिंग करने
के लिए डिस्पले का प्रयोग किया जाता है। कॉमन
एनोड या कॉमन कैथोड डिस्पले का प्रयोग
किया। जाता है। अधिकतर Alphabetical
Display का प्रयोग सर्किटों में देखा जा सकता।
है। चित्र में कॉमन एनोड डिस्पले दर्शाया गया है। इसमें
लगे 7 सैगमेन्ट को a, b, c, d, e,
f, g कहते हैं। कॉमन एनोड डिस्पले में a, b,
e, f, g अर्थ करके P बनाया जा सकता
है। इसी प्रकार a, b, ८, ९, f, g को अर्थ
करके R बनाया
जा सकता है
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