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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

Earthing information and how to do earthing

         अर्थिंग जानकारी और अर्थिंग कैसे करें

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अर्थिग


आपने देखा होगा कि कछ विद्यतीय उपकरण जैसे हीटर

प्रेस (आयरन), गीजर, कूलर, फ्रिज ' जो मेंन लीड


(Main lead) काम में ली जाती है, उसमें तीन तार होते 
हैं इन तारों 

का रंग क्रमशः लाल, काला और हरा होता है लाल रंग की 

तार को फेस (Phase) से तथा काले रंग की तार को न्यूट्रल 

(Nutral) जात हैं तीसरी हरे रंग की तार अर्थिग 

(Earthing) के लिये होती है इस हरे रंग की तार को मेंन 

लीड की मोटी पिन (अर्थिग पिन) से जोड़ते हैं इस अर्थिग 

पिन का सम्बन्ध विद्युतीय उपकरण के धातु के आवरण से 

होता है इसका कारण यह है कि कभी-कभी बाह्य आवरण 

में फेस जाता है उससे किसी भी प्रकार की हानि हो 

सकती है इस हानि से बचने के लिए आवरण को अर्थ 

करना जरूरी हो जाता है इस अर्थ की तार को जमीन में 

गड़ा खोदकर जमीन की नमी तक गहरी बनायी जाती है

जिससे आवरण में आने वाला फेस सीधे अर्थ में चला जाता 

हैअर्थ का तार ऐसे उपकरणों में लगाना जरूरी हो जाता है

जिन विद्युत उपकरणों में करेन्ट के लीक (Leak) हो जाने 

की सम्भावना अधिक होती है ऐसे उपकरणों के साथ थी 

पिन प्लग काम में लिया जाता है इनके सॉकेट भी सामान्य 

सॉकेट की अपेक्षा बड़े लगाये जाते हैं क्योंकि ऐसे उपकरणों 

के द्वारा अधिक करेन्ट के बहाव के कारण उष्मा भी अधिक 

उत्पन्न होती है तथा छोटे सॉकेट गर्म होकर जल जाते हैं तथा 

पिघल जाते हैं वैसे तो बिजलीघरों में भी तारों को अच्छी 

तरह से अर्थ किया जाता है तथा प्रत्येक दूसरे या तीसरे खम्भे 

को भी अर्थ किया जाता है और यह अर्थ की तार घरों में दी 

जाती है लेकिन फिर भी घरों में या कारखानों में अर्थिग 

बनाना सुरक्षा की दृष्टि से अच्छा होता है बहुत पहले पानी के 

नल के द्वारा  अर्थिग बनाई जाती थी  लेकिन इससे भी हानि 

होने का खतरा रहता है क्योंकि नल को स्पर्श करने से 

झटका लगा सकता है इसलिए इस विधि का प्रयोग नहीं 

किया जाता
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 Wiring




अर्थिंग कैसे चेक करें




आप टेस्टिंग बल्ला लीजिए और इससे और उसकी एक तार 

फेस में दीजिए और दूसरी तार अर्थिंग पर दीजिए अगरब्लॉक 

जलने लगा तो समझिए आपकी अर्थिंग है और अगर बल्ला 

जलने नहीं लगा तो समझिए अर्थिंग नहीं है इससे पता लग 

जाता है की अर्थिंग कैसे चेक करी जाती है 

(इमेज के दौरे से अब देख सकते हैं)
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अर्थिंग क्यों इस्तेमाल करनी चाहिए



अर्थिंग इसलिए इस्तेमाल करनी चाहिए क्योंकि मनुष्य और 

वस्तु सुरक्षा करते हैं यदि अर्थिंग नहीं हो तो मनुष्य को करण 

लग सकता है और वस्तु को करण लग सकता है इसीलिए 

अर्थिंग को सुरक्षा माना जाता है



अर्थिंग कैसे बनाते हैं

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            अर्थिंग कैसे बनाते हैं


एक अच्छी अर्थिग बनाने की विधि नीचे दी गई है:

सर्वप्रथम दो मीटर या ढाई मीटर तक गहरा गड़ा खोद लिया 

जाता है इस गड्ढे की चौड़ाई इतनी होनी चाहिये कि इसमें 

60cmx60cmx6mm साइज की धातु की प्लेट सके

यह प्लेट ताँबे या गेल्वानाइज्ड (Galyanised) लोहे से तैयार 

की जाती है इस प्लेट से गेल्वानाइज्ड लोहे के तार कस कर 

बाँध लिए जाते हैं या वेल्डिंग कर ली जाती है इस प्लेट को 

गड़े में रखने से पहले गड़े में कोयले और मोटे नमक की 

परत बिछा देते हैंअब गड़े में प्लेट को रख कर पुनः कोयले 

और नमक की परत बिछा लेते हैंअब इस परत पर पानी 

का छिड़काव किया जाता हैअन्त में गड़े को अच्छी तरह से 

बन्द कर दिया जाता है गड्ढे से निकलने वाला तार ही अर्थिग 

का तार कहलाता है यह तार उसी धातु का होना चाहिये

जिस धातु की प्लेट काम में ली गई है इस तार की मोटाई 

साधारण प्रयोग के लिए 14 गेज तथा पावर के लिए 8 गेज 

होनी चाहियें इस तार को जमीन से एक पाइप के द्वारा भी 

निकाला जाता है इस पाइप का व्यास 14mm से 30mm 

तक हो सकता है एक अर्थिग बनाने में 10 से 25 किलो 

नमक तथा 10 से 15 किलो लकड़ी के कोयले की 
आवश्यकता होती है


थी-फेस सप्लाई के लिए डबल अर्थिग भी बनायी जाती हैइस 

कार्य के लिए या तो दो गड्ढे खोदे जाते हैं या एक गड़े में 

दो अर्थिग प्लेट लगायी जाती हैं घरों में मीटर तक 8 गेज की 

अर्थ वायर प्रयोग की जाती हैइसके बाद वायरिंग के लिए 14 

गेज की अर्थ वायरी का प्रयोग किया जाता है




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