अर्थिंग जानकारी और अर्थिंग कैसे करें
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अर्थिग
प्रेस
(आयरन),
गीजर,
कूलर,
फ्रिज
' जो
मेंन
लीड
(Main lead) काम
में
ली
जाती
है,
उसमें
तीन
तार
होते
हैं इन
तारों
का
रंग
क्रमशः
लाल,
काला
और
हरा
होता
है लाल
रंग
की
तार
को
फेस
(Phase) से
तथा
काले
रंग
की
तार
को
न्यूट्रल
(Earthing) के
लिये
होती
है इस
हरे
रंग
की
तार
को
मेंन
पिन
का
सम्बन्ध विद्युतीय उपकरण
के
धातु
के
आवरण
से
होता
है इसका
कारण
यह
है
कि
कभी-कभी बाह्य आवरण
में
फेस
आ जाता है उससे
किसी
भी
प्रकार
की
हानि
हो
सकती
है इस
हानि
से
बचने
के
लिए
आवरण
को
अर्थ
करना
जरूरी
हो
जाता
है इस
अर्थ
की
तार
को
जमीन
में
गड़ा
खोदकर
जमीन
की
नमी
तक
गहरी
बनायी
जाती
है,
जिससे
आवरण
में
आने
वाला
फेस
सीधे
अर्थ
में
चला
जाता
हैअर्थ
का
तार
ऐसे
उपकरणों में
लगाना
जरूरी
हो
जाता
है,
जिन
विद्युत उपकरणों में
करेन्ट
के
लीक
(Leak) हो
जाने
पिन
प्लग
काम
में
लिया
जाता
है इनके
सॉकेट
भी
सामान्य
सॉकेट
की
अपेक्षा बड़े
लगाये
जाते
हैं
क्योंकि ऐसे
उपकरणों
के
द्वारा
अधिक
करेन्ट
के
बहाव
के
कारण
उष्मा
भी
अधिक
उत्पन्न होती
है
तथा
छोटे
सॉकेट
गर्म
होकर
जल
जाते
हैं
तथा
पिघल
जाते
हैं वैसे
तो
बिजलीघरों में
भी
तारों
को
अच्छी
तरह
से
अर्थ
किया
जाता
है
तथा
प्रत्येक दूसरे
या
तीसरे
खम्भे
को
भी
अर्थ
किया
जाता
है
और
यह
अर्थ
की
तार
घरों
में
दी
बनाना सुरक्षा की दृष्टि से अच्छा होता है बहुत पहले पानी के
होने का खतरा रहता है क्योंकि नल को स्पर्श करने से
झटका लगा सकता है इसलिए इस विधि का प्रयोग नहीं
अर्थिंग कैसे चेक करें
आप टेस्टिंग बल्ला
लीजिए और इससे
और उसकी एक
तार
जलने नहीं
लगा तो समझिए
अर्थिंग नहीं
है इससे पता
लग
(इमेज के
दौरे से अब
देख सकते हैं)
अर्थिंग क्यों इस्तेमाल करनी चाहिए
अर्थिंग इसलिए
इस्तेमाल करनी
चाहिए क्योंकि मनुष्य
और
वस्तु सुरक्षा करते हैं यदि
अर्थिंग नहीं
हो तो मनुष्य
को करण
लग
सकता है और
वस्तु को करण
लग सकता है
इसीलिए
अर्थिंग को
सुरक्षा माना
जाता है
अर्थिंग कैसे बनाते हैं
सर्वप्रथम दो मीटर या
ढाई
मीटर
तक
गहरा
गड़ा
खोद
लिया
जाता
है इस
गड्ढे
की
चौड़ाई
इतनी
होनी
चाहिये
कि
इसमें
60cmx60cmx6mm साइज
की
धातु
की
प्लेट
आ सके
यह प्लेट
ताँबे
या
गेल्वानाइज्ड (Galyanised) लोहे से
तैयार
की
जाती
है इस
प्लेट
से
गेल्वानाइज्ड लोहे
के
तार
कस
कर
बाँध
लिए
जाते
हैं
या
वेल्डिंग कर
ली
जाती
है इस
प्लेट
को
गड़े
में
रखने
से
पहले
गड़े
में
कोयले
और
मोटे
नमक
की
परत
बिछा
देते
हैंअब
गड़े
में
प्लेट
को
रख
कर
पुनः
कोयले
और
नमक
की
परत
बिछा
लेते
हैंअब
इस
परत
पर
पानी
का
छिड़काव किया
जाता
हैअन्त
में
गड़े
को
अच्छी
तरह
से
का
तार
कहलाता
है यह
तार
उसी
धातु
का
होना
चाहिये,
जिस
धातु
की
प्लेट
काम
में
ली
गई
है इस
तार
की
मोटाई
साधारण
प्रयोग
के
लिए
14 गेज
तथा
पावर
के
लिए
8 गेज
होनी
चाहियें इस
तार
को
जमीन
से
एक
पाइप
के
द्वारा
भी
निकाला
जाता
है इस
पाइप
का
व्यास
14mm से
30mm
नमक
तथा
10 से
15 किलो
लकड़ी
के
कोयले
की
आवश्यकता होती
है
थी-फेस
सप्लाई के लिए
डबल अर्थिग भी
बनायी जाती हैइस
कार्य के
लिए या तो
दो गड्ढे खोदे
जाते हैं या
एक गड़े में
गेज की
अर्थ वायरी का
प्रयोग किया जाता
है
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