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गुरुवार, 21 मई 2020

AC Motors

                           AC विद्युत मोटर्स
                      AC  Motors
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AC विद्युत मोटर्स






विद्युत मोटर्स, वे मशीनें होती है, जो विद्यत 

शक्ति को यांत्रिक शक्ति में बदल कर दूसरी 

मशीनों को चलाती है

सिद्धान्त
जब एक शापट पर लगी क्वाइल को 

परिवर्तनशील चम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो 

उसमें इन्डक्शन के कारण करेन्ट का बहाव 

होता है इस करेन्ट के कारण क्वाइल के चारों 

ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है इस 

प्रकार यहाँ दो फील्ड्स बनते हैं इन दोनो 

फील्ड्स के आपस में टकराने से इस क्वाइल 

पर एक बल लगता है तथा इससे जुडी शॉफ्ट 

घूमने लगती है यहAC मोटर का बेसिक 

सिद्धान्त है इस प्रकार कहा जाता है कि 

मोटर सामान्य रूप से इन्डक्शन के सिद्धान्त 

पर कार्य करती है



AC मोटर के विभिन्न भाग
AC मोटर या इन्डक्शन मोटर में तीन मुख्य 
भाग होते हैं
1. रोटर
2. स्टेटर
3. योक या बॉडी या फ्रेम





1. रोटर
मोटर के घूमने वाले भाग को रोटर कहते हैं 

किसी मोटर के रोटर की संरचना मोटर के 

प्रकार पर निर्भर करती है कुछ मोटर्स के 
रोटर 

लेमिनेटेड पत्तियों को रिविट करके बनाये जाते 

हैं तथा ये पत्तियाँ एक शॉपट से जुडी हुई 
होती 

है इसमें शॉपट के समानान्तर, गोलाकार रूप 
में 
बहुत सी झिरियाँ (Slots) बनाई गई होती है 

इन झिरियों में तावें अथवा एल्यूमिनियम के 

कापी मोटे चालक (राडेंस) लगाये जाते हैं 
इन 

चालकों को आपस में रिविट करके और इनके 

ऊपर या नीचे रिंग लगाकर शॉर्ट सर्किट किया 

गया होता है चालक और रिम्स को पीतल के 

टॉके अथवा वेल्डिंग के द्वारा जोडा गया 
होता 

है इस प्रकार के रोटर स्कुअर्ल केज रोटर 

कहलाते हैं तथा जिन मोटर्स में इस प्रकार के 
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Short Circuiting Rings

रोटर लगे होते हैं, उन्हें स्कअर्ल केज 
इन्डक्शन 

मोटर्स कहते हैं इसके अलावा कुछ मोटर्स में 

घुमने वाले भाग के रूप में आर्मेचर का 
प्रयोग 

किया जाता है इस आर्मेचर में एक कोर होती 

है, जिसे आर्मेचर कोर कहते हैं इसके बीच में 


लोहे की शॉफ्ट लगाई जातीऔ पर झिरियाँ 

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Armature
(Slots) बनी होती हैं इन झिरियों में आर्मेचर 


क्वाइल्स लगाई जाती है इन क्वाइल्स को 
ताँबे 

की एनेमल्ड तारों से बनाया जाता है इसके 

बाद इन क्वाइल्स को एक विशेषआकार देकर 

झिरियों (Slots) में लगाया जाता है तथा 
इनके 

ऊपर बाँस की पतली पट्टियाँ लगाकर स्लॉट्स 

को बन्द कर दिया जाता है इन क्वाइल्स को 

इसी आर्मेचर पर बने सेग्मेन्ट्स के द्वारा 

सप्लाई प्राप्त होती है







2. स्टेटर
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Stator

यह लेमिनेशन्स पत्तियों को जोड कर बनाया 

गया होता है इस की स्लाटों (खाँचों) में 

सिंगल फेज वाइडिंग की जाती है अलग-

मोटर्स के स्टेटर में वाइडिंग्स की संख्या भी 

अलग-2 होती है इन वाइडिंग्स को आपस में 

इस प्रकार जोडा गया होता है कि ये एक 

रोटेटिंग (घुमता हुआ) मेग्नेटिक फील्ड बनाती 

है इस रोटेटिंग मेग्नेटिक फील्ड के कारण ही 

रोटर में इन्डक्शन के कारण करेन्ट उत्पन्न 

होती है आजकल लगभग 90 प्रतिशन 


इन्डक्शन मोटर्स, इसी प्रकार बनाई जाती है 


इनकी बनावट कापी सुदृढ़ तथा टिकाऊ होती 


है इनका रोटर कभी खराब नहीं होता 








3. योक या बॉडी या फ्रेम

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Yoke or Frame

यह मोटर का वह भाग होता है, जिससे मोटर 

की स्टेटर वाइडिंग लगाई जाती है मोटर का 

रोटर भी इसी भाग में लगाया जाता हैं छोटी 

मोटर्स के लिए यह ढले हुए लोहे (Cast Iron) 

का बना होता है जबकि बडी मोटर्स के लिये 

यहाँ स्टील की प्लेटों से फेवीकेट (कटिंग-

वेल्डिंग) करके बनाया गया होता है इसके 

नीचे के भाग में स्टेण्ड होता है, जिसकी 

सहायता से मोटर को किसी आधार पर नट-

बोल्ट के द्वारा कस दिया जाता है इसके 

ऊपरी भाग पर एक गोल हुक लगा होता है

जिसे लिफ्टिंग हुक कहते हैं मोटर की बॉडी 

पर बाहर की तरफ कुछ खडी प्लेंटे वेल्ड की 

हुई होती हैं ये मोटर के लिए हीट सिंक का 

कार्य करती है


             AC मोटर का वर्गीकरण
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उपरोक्त चार्ट के अनुसार AC मोटर्स दो प्रकार की होती है


1.सिंगल फेस मोटर


2.AC 3-फेस मोटर








1. AC सिंगल फेस मोटर

ये मोटर्स, AC सिंगल फेस सप्लाई पर कार्य 

करती है अर्थात ये 220/230V AC सप्लाई पर 

कार्य करती है इनको केवल एक फेस 

(Phase) तथा एक न्यूट्रल (Neutral) की तार 

से जोड़ा जाता है इन्हें डॉमेस्टिक मोटर भी 

कहा जाता है ये मोटर्स, छोटे आकार की होती 

हैं तथा हल्के कार्यों के लिए प्रयोग की जाती 

है सिंगल फेस मोटर्स एक या दो हार्स पावर 

की भी हो सकती है और इससे अधिक शक्ति 

की भी हो सकती है परन्तु अधिकाँश सिंगल 

फेस मोटर्स एंक हॉर्स पावर से कम की ही 

बनायी जाती है ये 1/4, 1/6, 1/8 हॉर्स पावर 

(H.P.) या इससे भी कम शक्ति की अधिक 

प्रयोग की जाती है एक हॉर्स पावर से कम 

की मोटर्स को फ्रक्शनल हॉर्स पावर (EH.P.) 

मोटर कहा जाता है इनका प्रयोग घरों के 

अतिरिक्त औद्योगिक क्षेत्रों और व्यापारिक 

कार्यालयों आदि में बहुतायत से किया जाता 

है कई प्रकार के पोर्टेबल इलेक्ट्रिक टूल्स में 

भी इसी प्रकार की मोटर्स लगाई जाती है





AC सिंगल फेस मोटर दो प्रकार की होती है

(i) सिंगल फेस कम्यूटेटर मोटर

(ii) सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर 






(i) सिंगल फेस कम्यूटेटर मोटर

इस प्रकार की मोटर्स में आर्मेचर लगा होता है

जिसके ऊपर वाइडिंग्स लगाई गई होती है इस 

आर्मेचर के ऊपरी सिरे पर कम्यूटेटर बना होता 

है यह कम्यूटेटर ताँबे की सेग्मेन्ट्स को 

जोडकर बनाया गया होता है ये सेग्मेन्ट्स 


एक दूसरे से और शॉफ्ट से अभ्रक की पत्तियों 


के द्वारा अलग किये गये होते हैं आर्मेचर 


वाइडिंग के सिरे, कम्यूटेटर सेग्मेन्ट्स के साथ 


सोल्ड किये जाते हैं जब आर्मेचर वाइडिंग को 

कम्यूटेटर के दारा सप्लाई मिलती है तो 

आर्मेचर को एक तेज झटका लगता है इससे 

कम्यूटेटर की स्थिति बदल जाती है और दूसरे 

कम्यूटेटर पर सप्लाई आ जाती है इससे 

दूसरी क्वाइल जुडी होती है इस दूसरी क्वाइल 

को सप्लाई मिलते ही आर्मेचर को पुनः एक 

झटका लगता है और यह घुमता है इस प्रकार 

यह क्रम लगातार चलता रहता है और शॉफ्ट 

घुमने लगती है इस प्रकार की मोटर्स में 

कम्यूटेटर पर स्पार्किग होती है इसी कारण 


इनका प्रयोग छोटी मोटर्स में ही किया जाता 

है सिंगल फेस कम्यूटेटर मोटर के प्रकार



सिंगल फेस कम्यूटेटर मोटर दो प्रकार की होती है

(a) AC सीरीज मोटर

(b) यूनिवर्सल मोटर





(a) AC सीरीज मोटर

इस प्रकार की मोटर में पील्ड क्वाइल, कम टर्न 

और मोटे तार की होती है, जो आर्मेचर के 

सीरीज में जुड़ी होती है, जिससे पूरी लोड 

करेन्ट, आर्मेचर और फील्ड क्वाइल में से एक 

समान रूप से बहती है इससे बिना लोड के 

इन मोटर्स की गति अधिकतम होती है

इसलिए इस मोटर को लोड के बिना नही 

चलाना चाहिये, क्योंकि अधिक स्पीड के कारण 

मोटर के खराब होने की सम्भावना रहती है






उपयोग
की मोटर्स की प्रारम्भिक गति अत्याधिक तेज 

होती है और एक समान लोड पर गति चकि 

इस प्रकार की मोटर्स की प्रारम्भिक गति 

अत्याशिता भर रहती है अतः ये मोटर ट्राम

क्रेन, ट्रेन पंखे आदि को चलाने के काम आती है







(b) यूनिवर्सल मोटर

इस प्रकार की मोटर्स AC और DC दोनो प्रकार 

की सप्लाईयों पर काम कर सकती है वैसे 

एक DC मोटरAC पर भी कार्य कर सकती है 

लेकिन इसकी बनावट में कुछ परिवर्तन करना 

पडता है इसके लिए मोटर के फिल्टर मेग्नेट 

कोर को लेमीनेटेड करना पड़ता है इससे एडी 

करेन्ट लॉस कम हो जाता है, जो अल्टरनेटिंग 

फ्लक्स के द्वारा बनता है कई बडी मोटरों में 

कम्यूटेशन की क्वालिटी में सुधार लाने के 

लिए कम्पेनसेटिंग वाइडिंग भी लगाते हैं





यूनिवर्सल मोटर्स में स्टेटर वाइडिंग, रोटर 

वाइडिंग (आर्मेचर) की सीरीज मे जुडी होती है 

इससे यह मोटर सीरीज मोटर की तरह कार्य 

करती है इसकी स्पीड, सामान्य स्पीड से 

अधिक होती है लेकिन सीरीज मोटर को बिना 

लोड पर चलाने की स्पीड से .कम होती है 

जब यह AC सप्लाई पर कार्य करती है तो 

इसकी स्पीड, लोड के अनुसार स्थिर हो जाती 

है इस प्रकार की मोटर्स अधिकतर घर में 

काम आने वाले छोटे उपकरणों में प्रयोग की 

जाती है, जैसे- बाल सुखाने वाली मशीन

पोर्टेबल ड्रिल मशीन, ब्लोअर, सिलाई मशीन 

और मिक्सर, ग्राइन्डर आदि इस प्रकार की 

मोटर्स की दिशा, आर्मेचर या फील्ड के 

कनेक्शन बदलने पर बदली जा सकती है







(ii) सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर्स

ये मोटर्स, इलेक्ट्रोमेग्नेटिक इन्डक्शन के 

सिद्धान्त पर कार्य करती है इन मोटर्स के 

मुख्य भाग स्टेटर और रोटर होते हैं स्टेटर

मोटर का स्थिर भाग होता है इस भाग पर 

क्वाइल-वाइडिंग लगाई गई होती है, जिसे AC 

सप्लाई दी जाती है इस प्रकार यह भाग 

परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने का 

कार्य करता है सिंगल फेस मोटर्स में सिंगल 

फेस सप्लाई के कारण स्टार्टिग टार्क की 

समस्या आती है, जिससे मोटर सप्लाई देने के 

बाद भी चल नही पाती यदि रोटर पर लोड 

कम हो और सप्लाई देने के साथ ही मोटर को 

हाथ से घुमा दिया जाये तो वह चलने लगती 

है लेकिन मोटर को बार-2 हाथ से घुमाना 

सम्भव नहीं होता अतः माटर को स्टार्ट करने 

के लिए स्टार्टिग टार्क उत्पन्न करना अति 

आवश्यक होता है इसके लिए सिंगल और 

मोटर्स में स्टेटर के ऊपर दो अलग-2 वाइडिंग्स बनाई जाती है

(a) स्टार्टिग वाइडिंग

(b) रनिंग वाइडिंग






(a) स्टार्टिग वाइडिंग

यह वाइडिंग, मोटर को स्टार्ट करते समय 

अधिक ताकत प्रदान करने के लिए प्रयोग की 

जाती है जब मोटर 75 से 80% तक की स्पीड 

पकड लेती है तो यह वाइडिंग सर्किट से अलग 

हो जाती है स्टार्टिग वाइडिंग का रेजिस्टेन्स 

अधिक और इन्डक्टेन्स कम रखने के लिए 

इसमे पतले तार की वाइडिंग की जाती है 

यदि मोटर के निर्धारित गति तक आने के 

बाद स्टार्टिग वाइडिंग को सर्किट से नही 

हटाया जायेगा तो मोटर अधिक करेन्ट लेगी

मोटर से हम्मिंग की आवाज आयेगी तथा 

इससे वाइडिंग के जलने का खतरा भी हो सकता है






(b) रनिंग वाइडिंग

जब स्टार्टिग वाइडिंग के द्वारा मोटर एक 

निश्चित गति पर पहुंच जाती है तो स्टार्टिग 

वाइडिंग तो सर्किट से अलग हो जाती है और 

अब मोटर रनिंग वाइडिंग पर चलती रहती है

सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर का दूसरा भाग 

रोटर होता है, जो घूमता है यह बेलन 

(Cylinder) के आकारमा रोटर मे तार की 

वाइडिंग नही की जाती बल्कि इसके ऊपरी 


भाग पर कई स्लॉट्स (Slots) बने होते हैं इन 

स्लॉट्स में ताँबे या एल्यूमिनियम की छडे 

(Rods) रख दी जाती है तथा इन सभी छडों 

को आपस में सिलेण्डर के दोनो सिरों पर एण्ड 

रिग्स (End Rings) के द्वारा जोड दिया जाता है






सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर की कार्य विधि 

इन्डक्शन मोटर में स्टेटर और रोटर के बीच 

किसी प्रकार का कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन 

नही होता और न ही रोटर को सप्लाई दी 

जाती है लेकिन जब स्टेटर को सिंगल फेस 

सप्लाई से जोड़ते हैं तो उसमें चुम्बकीय क्षैत्र 

उत्पन्न होता है स्टेटर और रोटर के बीच 

लगभग 1mm से भी कम एयर गेप होता है 

इससे स्टेटर के द्वारा उत्पन्न चम्बकीय क्षेत्र 

रोटर की छडों के सम्पर्क में आता है तथा 

इन्डक्शन के सिद्धान्त के अनुसार उनमें एक 

वोल्टेज (e.m.f) उत्पन्न करता है य

पन्न करता है यहाँ यह बात विशेष ध्यान देने 

की है कि ये वोल्टेज केवल परिवर्तनशील 

चुम्बकीय क्षेत्र के कारण ही उत्पन्न होते हैं 

चूंकि AC परिवर्तनशील सप्लाई होती है अतः 

यह स्टेटर की वाइडिंग में परिवर्तनशील 

चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जब रोटर में 

वोल्टेज उत्पन्न होते हैं तो इसमें करेन्ट का 

बहाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप इसके 

आस-पास भी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है 

यह चुम्बकीय क्षेत्र, जब स्टेटर से उत्पन्न 

चुम्बकीय क्षेत्र को काटता है तो रोटर पर एक 

बल लगता है इस बल से रोटर घूमने लगता 

है सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर के प्रकार

सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर्स में स्टार्टिग टार्क 

में वृद्धि करने के लिए कई विधियों का प्रयोग 

किया जाता है इस आधार पर




सिंगल फेस इन्डक्शन मोटर चार प्रकार की होती है

(i) स्प्लिट फेस मोटर

(ii) रेजिस्टेन्स स्टार्ट मोटर

(iii) इन्डक्शन स्टार्ट मोटर

(iv) केपेसीटर मोटर 







(i) स्प्लिट फेस मोटर

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Split Face Motor

इस मोटर के स्टेटर में दो वाइडिंग्स होती है 

स्टार्टिग वाइडिंग और रनिंग वाइडिंग स्टार्टिग 

वाइडिंग को एक सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच के द्वारा 


सप्लाई प्राप्त होती है दोनो वाइडिंग्स के फेस 

में अन्तर लाने के लिए इनके रेजिस्टेन्स और 

इन्डक्टेन्स में अन्तर रखा जाता है इसकी 

रनिंग वाइडिंग मोटे तार की होती है, जिससे 

इसका रेजिस्टेन्स कम और इन्डक्टेन्स अधिक 

रहता है इस प्रकार की बनावट से  दोनो 

वाइडिंग्स में चल रहे करेन्ट में फेस अन्तर 

उत्पन्न हो जाता  है यही फेस अन्तर सिंगल 

फेस को दो फेसों में विभक्त करता है अर्थात 

मोटर को स्प्लिट फेस मोटर बनाता है फेस 

के विभक्त हो जाने के कारण स्टेटर की 

वाइडिग्स, दो फेस वाइडिंग के रूप में कार्य 

करती है इससे स्टेटर घूमता हुआ चुम्बकीय 

क्षेत्र उत्पन्न करता है और मोटर को स्टार्टिग 

टार्क मिल जाती है इस प्रकार सिंगल फेस 

सप्लाई देते ही मोटर बिना किसी बाहरी धक्के 

के अपने आप चलने लगती है इस प्रकार 

की मोटर्स में दोनो वाइडिंग्स सप्लाई लाइन के 

पैरेलल में जुडी होती है अतः मेन स्विच 

ऑन करने पर दोनोवाइडिक्सको एक साथ सप्लाई 

मिलती है और मोटर घूमना प्रारम्भ कर देती 

है जब मोटर की गति 75 से 80% तक 

पहुंच जाती है तो सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच ऑफ हो 

जाता है इससे स्टार्टिग वाइडिंग मोटर

से बाहर हो जाती है इस समय मोटर रनिंग 

वाइडिंग पर ही कार्य करती है इस प्रकार की 

मोटर्स स्थिर गति और अलग-2 लोड स्थितियों 

के लिए किया जाता है इनकी पावर 1/3HP 

से 3/4HP तक होती है








(ii) रेजिस्टेन्स स्टार्ट मोटर

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Resistance start motor


यह एक प्रकार की स्प्लिट-फेस मोटर ही होती 

है इसकी स्टार्टिग वाइडिंग के साथ सीरीज में 

एक रेजिस्टेन्स लगी हुई होती है, जैसाकि चित्र 

में दिखाया गया है चूंकि यहाँ स्टार्टिग 

वाइडिंग के साथ सीरीज में एक रेजिस्टेन्स 

लगी है अतः इससे स्टार्टिग वाइडिंग को 

स्थिरता प्राप्त होती है तथा यह शीट

खराब नही होती है इसके बाद मेंन वाइडिंग 

कार्य करती है चूंकि इस समय तक मोटर 

स्टार्ट हो चुकी होती है अतः अब मेंन वाइडिंग 

पर ओवर लोड नहीं आता इस प्रकार इस 

मोटर में स्टार्टिग के समय डवल पील्ड प्रभाव 

उत्पन्न होता है जब मोटर लगभग 75% स्पीड 


तक पहुंच चुकी होती है, तब सेन्ट्रीफ्यूगल 

स्विच को ऑफ करके स्टार्टिग वाइडिंग को 

डिसकनेक्ट कर दिया जाता है इस समय 

मोटर मेंन वाइडिंग पर ही चलती हैं यह 

मोटर रेजिस्टेन्स स्टार्ट, स्प्लिट-फेस मोटर के 

नाम से भी जानी जाती है तथा सामान्य रूप 

से इसका प्रयोग वाशिंग मशीन्स में किया जाता है









(iii) इन्डक्टेन्स स्टार्ट मोटर

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Inductance Start Motor

इस प्रकार की मोटर्स का एक सैद्धान्तिक 

डायग्राम चित्र में दिखाया गया है - इसे शेडेड 

पोल मोटर भी कहा जाता है इस प्रकार की 

मोटर्स के स्टेटर के पोल उभरे हुए होते है

जिनके ऊपर मेग्नेटिक प्रभाव को बढाने के 

लिए आयरन कोर पर दो या दो से अधिक 

क्वाइल्स बनी होती है इसका रोटर, स्कूअर्ल 

केज (SquirrelCage) प्रकार का होता है चित्र 

में एक 2-पोलो वाली शेडेड पोल मोटर दिखाई 

गई है प्रत्येक पोल के ऊपर एक तिहाई भाग 

में एक स्लॉट बना होता है पोल के छोटे भाग 

पर ताँवे की क्वाइल बनाई गई होती है इस 

क्वाइल को शेडेड क्वाइल कहते हैं सभी शेडेड 

क्वाइल्स' सीरीज में जोडी गई होती है

जैसे ही मेंन वाइडिंग (पील्ड क्वाइल) को 

सप्लाई देते हैं तो इसमें करेन्ट बहने से पील्ड 

बनता है इससे शेडेड क्वाइल्स में भी करेन्ट 

उत्पन्न हो जाती है सर्वप्रथम क्वाइल A पर 

ताकतवर मेग्नेटिक फील्ड बनता है और 

इसके कुछ क्षण बाद क्वाइल-B पर बनता है 

इससे एक घूमता हुआ चुम्बकीय प्रभाव प्राप्त 

होता है यह फील्ड, मेंन फील्ड का विरोध 

करता है इससे रोटर घूमने लगता है

चूंकि शेडेड पोल मोटर में सम्भावित पोर्स और 


करेन्ट्स की सीमायें निश्चित होती हैं अतः इस 

विधि के द्वारा लगभग 1/20pसे अधिक पावर 

की मोटसे बनाना सम्भव नहीं होता ये मोटर्स 

छोटे-२ पंखे. जैसे किचन फेन्स, दीवार घडियों

कलर पम्प आदि में प्रयोग की जाती है


(iv) केपेसीटर मोटर

इस प्रकार की मोटर्स ने केरोसीटर्स प्रयोग किये 

जाते है ये मोटर्स स्लिट फेस मोटर्स का 

संशोधित रूप होती है




केपेसीटर मोटर तीन प्रकार की होती है|

(a) केपेसीटर स्टार्ट  मोटर 

(b) केपेसीटर स्टार्ट-केपेसीटर इन मोटर 

(c) परमानेन्ट (स्थाई) केपेसीटर मोटर









(a) केपेसीटर स्टार्ट मोटर
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Capacitor start motor

बहुत से उपयोगों में, जहाँ हाई स्टार्टिग टार्क 

की आवश्यकता होती है, वहाँ इस प्रकार की 

मोटर्स का प्रयोग किया जाता है इस मोटर 

की स्टार्टिग वाइडिंग के साथ सीरीज में एक 

केपेसीटर लगाया गया होता है, जैसाकि चित्र में 

दिखाया गया है इस कपेसीटर के कारण मोटर 

का स्टार्टिग टार्क बढ जाता है तथा मोटर का 

स्टार्टिग करेन्ट भी कुछ कम हो जाता है जब 

मोटर 75% गति तक पहुँच जाती है तो यह 

स्टार्टिग वाइडिंग, सेन्ट्रीपयूगल स्विच को ऑफ 

हो जाने के कारण सर्किट से अलग हो जाती है 

तथा इसके बाद मोटर केवल रनिंग वाइडिंग 

पर कार्य करती है सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच मोटर 


शॉपट के भीतरी किनारे पर लगाया गया होता 

है जैसाकि इसके नाम से स्पष्ट है, यह हवा 

के दवाव के सिद्धान्त पर कार्य करता है यह 

मोटर की स्टार्टिग वाइडिंग को उस स्पीड पर 

डिसकनेक्ट कर देता है, जिसके लिए इसे सेट 

किया गया होता है केपेसीटर स्टार्ट मोटर में 

रेजिस्टेन्स स्टार्ट मोटर की अपेक्षा अधिक 

स्टार्टिग पावर होती है चूंकि इसमें लगा 

केपेसीटर केवल स्टार्टिग के समय ही कार्य 

करता है अतः यहाँ अधिक मान का केपेसीटर 

प्रयोग किया जा सकता है इस प्रकार की 

गोटर्स खराद मशीनों, ड्रिल मशीनों और 


प्रिन्टिंग मशीनों को चलाने के लिए प्रयोग की 
जाती है










(b) केपेसीटर स्टार्ट-केपेसीटर रन मोटर

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Capacitor start-capacitor run motor

इस प्रकार की मोटर्स में स्टार्टिग वाइडिंग के 

साथ सीरीज में दो केपेसीटर्स का प्रयोग किया 

जाता है इनमें से एक केपेसीटर, सेन्ट्रीपयूगल 

स्विच के साथ स्टार्टिग क्वाइल की सीरीज में 

लगा होता है जव मोटर एक निर्धारित स्पीड 

पर आ जाता है तो यह सेन्ट्रीपयूगल स्विच 

ऑफ होकर स्टार्टिग केपेसीटर को सर्किट से 

अलग कर देता है लेकिन इस समय रनिंग 

केपेसीटर, स्टार्टिग वाइडिंग के साथ सीरीज में 

लगा रहता है इसके कारण मोटर का पावर 

फेक्टर कम नहीं हो पाता है







(c) परमानेन्ट (स्थाई) केपेसीटर मोटर 

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Permanent capacitor motor

इस प्रकार की मोटर्स में, दो स्थिर वाइडिंग्स

एक सिंगल फेस लाइन से जोडी गई होती है 

इसकी रनिंग वाइडिंग (मेंन वाइडिंग) और 

स्टार्टिग वाइडिंग का एक-2 सिरा आपस में 

जुडा होता है रनिंग वाइडिंग का दूसरा सिरा 

सीधे ही सप्लाई के दूसरे सिरे से जुडा होता है

जबकि स्टार्टिग वाइडिंग के दूसरे सिरे पर 

स्थाई रूप से एक केपेसीटर लगा होता है इस 

मोटर में सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच का प्रयोग नहीं 

किया गया है इस केपेसीटर के प्रयोग के 

कारण स्टार्टिग वाइडिंग, रनिंग वाइडिंग से 

पहले अधिक ताकतवर मेग्नेटिक फील्ड 

उत्पन्न करती है उसके बाद रनिंग वाइडिंग 

ताकतवर मेग्नेटिक फील्ड उत्पन्न करती है 

तथा इसके बाद पुनः स्टार्टिग वाइडिंग 

ताकतवर मनाटक फील्ड उत्पन्न करती है 

इस प्रकार यह मोटर दो-फेस मोटर की तरह 

कार्य करती है इसके स्टाटिंग और रनिंग टार्क 

कम रहते हैं यह मोटर धीरे-२ चलकर गति 

पकडती है और बिना आवाण इस प्रकार की 

मोटर्स टेबल फेन्स और सीलिंग फेन्स में 

प्रयोग की जाती है इसके अलावा, जिन 

उपकरणों के कम टार्क की आवश्यकता होती 

है, वहाँ इन्हें सफलता पूर्वक प्रयोग किया जा 
सकता है






AC 3-फेस मोटर
ये मोटर्स 3-फेस AC सप्लाई पर कार्य करती 

है तीन फेस मोटर्स में घूमता हुआ चुम्बकीय 

क्षेत्र उत्पन्न नोटहथे मोटर्स हेवी ड्यूटी मोटर्स 

कहलाती है तथा कल-कारखानों में प्रयोग की जाती है






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