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शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

transistor in Hindi

 ट्रांजिस्टर के प्रकार Types of transistors

अन्य ट्रांजिस्टर

ट्रांजिस्टर के प्रकार Types of transistors
 ट्रांजिस्टर के प्रकार Types of transistors













अन्य ट्रांजिस्टर


बाइपोलर ट्रांजिस्टर दो प्रकार के NPN और 

PNP होते हैं। इन ट्रांजिस्टरों में इनपुट 

इम्पीडेन्स कम व Noise लेवल अधिक होने का 

दोष देखा जा सकता है। FET (Field Effect 


Transistor) का इनपुट इम्पीडेन्स व पावर गेन 


अधिक व शोर का लेविल भी कम होता है। 


FET में कन्डक्शन केवल एक प्रकार का N-


टाइप या P-टाइप सेमीकन्डक्टर होता है। FET 


को यूनिपोलर (Unipolar) ट्रांजिस्टर भी कहते हैं



Types of transistors
 Types of transistors



(B) संकेत (A) बनावट

FET ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं

(1) JFET (Junction Type FET)

 

(2) MOSFET (Metal Oxide Semiconducter Type FET)

 

JFET-JFET में तीन एलीमेन्ट्स होते हैं

एक JFET में Drain (D) कलेक्टर के समान

Source (S) एमीटर और Gate(G) बेस के 

समान होता है।





MOSFET मॉसफेट 

MOSFET-MOSFET दो प्रकार के होते हैं


 

(1) N-चैनल (2) P-चैनल

Types of transistors
 Types of transistors

 









इसकी बनावट में सिलिकॉन डाइ-आक्साइड (SiO,)

प्रयोग होता है में MOSFET का संकेत दर्शाया गया है।

इसमें ड्रेन करेन्ट गेन वोल्टेज द्वारा नियन्त्रित की जाती है।



फोटो ट्रांजिस्टर-

Types of transistors
 Types of transistors






फोटो ट्रांजिस्टर के बेस पर प्रकाश पड़ते ही यह कार्य करता


है। प्रकाश पर कार्य करने के अतिरिक्त इसकी 


कार्य-पद्धति साधारण ट्रांजिस्टर की -तरह ही 


होती है। एल. डी. आर. और फोटो डायोड की 


तुलना में इसकी कार्य-क्षमता


अधिक होती है। इसके प्रयोग से सर्किट में 


न्यूनतम कम्पोनेन्ट्स की आवश्यक्ता होती है


क्योंकि जब प्रकाश पड़ने पर यह कन्डक्शन में 


आता है तो इससे करेन्ट - एम्प्लीफिकेशन भी 


मिलती है।



एस. सी. आर. (S.C.R.)


Types of transistors
 Types of transistors






एस. सी. आर. (Silicon Controlled Rectifier) 


चार सेमीकन्डक्टर परत वाला PNPN उपकरण 


हैजिसमें तीन बाहरी कनेक्शन एनोडकैथोड 


और गेट हात हा यह एक स्विचिंग उपकरण की 


तरह कार्य करता है। (B) में एस. सी. 


आर. का संकेत दर्शाया गया है।


एस. सी. आर. दो ट्रांजिस्टरों के संयोजन से 


बनता हैजिसमें प्रत्येक का बेस । दूसरे के 


कलेक्टर से जुड़ा होता है।


एस. सी. आर. एक सॉलिड स्टेट रेक्टिफायर 


होता हैजो उस समय कार्य नहीं करताजब 


P-टाइप एनोड को फारवर्ड सप्लाई अर्थात् 


पोजिटिव सप्लाई दी जाती । है और गेट पर 


कोई भी सिगनल नहीं होता । यह फारवर्ड ब्रेक 


ऑवर वोल्टेज (Break | Over Voltage) 


कहलाती है। यदि गेट को पोजिटिव वोल्टेज दी 


जाये तो एस. सी. आर में प्रयुक्त पहला NPN 


ट्रांजिस्टर कार्य करता हैजिससे दूसरा PNP

ट्रां

जिस्टर स्वतः ही कार्य करने लगता हैजिससे 


एनोड से कैथोड तक करेन्ट प्रवाहित होने 


लगती हैलेकिन कैथोड की अपेक्षा एनोड 


पोजिटिव होना चाहिए। इस प्रकार एस. सी. 


आर. उस समय ही कार्य करता हैजब इसकी 


गेट पर वोल्टेज दी जाती


है। एस. सी. आर. को ऑफ करने के लिए 


एनोड वोल्टेज समाप्त कर दी जाती है, | क्योंकि 


यदि गेट सर्किट में कन्डक्शन पथ प्राप्त होता 


है तो इलेक्ट्रॉन्स एनोड की


ओर प्रवाह करते रहेंगे। यदि एक बार एस. सी. 


आर. ऑन कर दिया जाये तो गेट


 पूर्ण रूप से कन्डक्शन कंट्रोल खो देता है। 

एस. सी. आर. निम्न स्तर (1.5V,39 mA) पर 

गेट करेन्ट उच्च स्तर की एनोड करेन्ट को 

नियन्त्रित करती है। इसलिये एस. सी. आर. 

रिलेस्विचिंग और कन्ट्रोल सर्किटों में अत्यन्त 

उपयोगी सिद्ध होता है।




डायक (Diac)-

डायक भी बाइपोलर जंक्शन 



Types of transistors
 Types of transistors






ट्रांजिस्टर की तरह तीन P.N.P. सेमीकण्डक्टर 


परतों का बना होता हैलेकिन इसमें केवल दो 


टर्मिनल ही होते हैइसलिये इसे Bi-directional


भी कहते हैं। डायक में विद्युत धारा का प्रवाह 


दोनों दिशाओं में हो सकता है।


डायक का प्रयोग अधिकतर ट्रायक के साथ 


इलेक्ट्रॉनिक्स फैन रेग्यूलेटरमोटर - स्पीड 


कन्ट्रोल सर्किटलैम्प डिमरहीट कन्ट्रोल सर्किट 


इत्यादि में होता है। डायक

केवल स्विचिंग क्रिया के लिये होता है। मीटर 


से डायक चैक करते समय यह प्राड पलटने पर 

भी दोनों स्थितियों में हाई रैजिस्टेन्स दर्शाएगा 

अर्थात् मीटर की सुई नहीं चलेगी। इसे दिये 


गये वोल्टेज की किसी भी पोलेरिटी के लिये 


अपनी बन्द स्थिति से चालू स्थिति में लगाया जा सकता है

 

डायक उपलब्ध न होने की स्थिति में क्या करें?


डायक उपलब्ध न होने पर इसके सामाधान का 

अत्यन्त आसान तरीका यह है कि BC148 


ट्रांजिस्टर लेकर उसका बेस खाली छोड़ दें और 


ट्रांजिस्टर के कलेक्टर तथा एमीटर सिरों को 


डायक की जगह प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त 


हाई वोल्टेज सर्किटों में दो डायोड 


जोड़कर भी डायक का कार्य लिया जा सकता है।



ट्रायक (Triac)

Types of transistors
 Types of transistors


ट्रायक में एस. सी. आर. के 


समान तीन इलेक्ट्रॉड होते हैं जो एनोड और 


कैथोड न होकर मेन टर्मिनल नं0 1(MT), मेन 


टर्मिनल नं० 2(MT) और गेट कहलाते हैं।

 


डायक का संकेत ट्रायक का संकेत


टायक रेक्टिफिकेशन कार्य में प्रयोग नहीं होता 


है। टायक एक-दो दिशा वाले स्विच या 


थाइरिस्टर (Thyristor) के समान कार्य करता 


है। इसकी दोनों मेन टर्मिनल्स पर वोल्टेज 


देकर ऑन किया जा सकता है। ट्रायक को एक-


दो बार कम समय के लिये चालू (ट्रिगर) करके 


कन्डक्शन को लगातार चालू रखा जा सकता है। 


एस. सी. आर. को केवल पोजिटिव पल्स से ही 


ट्रीगर (चाल) किया जाता हैजबकि ट्रायक 


निगेटिव और पोजिटिव दोनों ही पल्सों से ट्रीगर 


हो सकता है। ट्रायक के साथ डायक का प्रयोग 


करना इसलिये आवश्यक हो जाता हैक्योंकि 


डायक कम समय


में ही ऑन स्थिति में ऑफै स्थिति में हो जाता 


है। ट्रायक एक बार ऑन होने के बाद फारवर्ड 


एवं रिवर्स दोनों दिशाओं में करेन्ट का 


कन्डक्शन करता है। ट्रायक ए. सी. की दोनों 


साइकलों को नियन्त्रित करता है।





स्विचिंग ट्रिगरिंग रेग्यूलेटर (S.T.R.)


टेलीविजनवी. सी. आर. इत्यादि की पावर 


सप्लाई में S.T.R. का उपयोग देखा जा सकता 


है। इनमें भी आई. सी. की तरह सर्किट पैक 


रहता है। इनका प्रयोग रेग्यूलेटेड वोल्टेज और 


करेन्ट के लिये पावर सप्लाई में होता है।

 

Types of transistors
 Types of transistors


 


एस. टी. आर. S.T.R. में प्रायः चार पोल होते हैं,


जिन्हें क्रमशः A,B,C तथा टर्मिनल भी कह 


सकते हैं। इनके मुख्य नम्बर STR450, 


STR450A, STR5294, STR440, STR6020. 


STR5412 आदि हैं।




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