कॉइल क्या है? कॉइल कैसे काम करता है
What is a Coil How Does a Coil Work hindi
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How does the coil work |
इन्सुलेटेड
(पॉलिश किये हुए) चालक तार की कुछ
लपेटों को लगाकर बनाया गया पुर्जा क्वाइल
कहलाता हैं, ये लपेटें
जिस आधार पर लपेटी जाती
हैं, उसे कोर (Core)
कहते हैं जब ये लपेटें
किसी
कुचालकआधार पर या बिना किसी आधार के
लपेटी जाती हैं तो उन्हें एयर
कोर क्वाइल कहा
जाता है लेकिन जब ये लपेटे फैराइट या आयरन
की कोर पर लपेटी जाती
हैं तो उन्हें फैराइट कोर
क्वाइल या आयरन कोर क्वाइल कहा जाता है
इन सभी क्वाइल्स
के अलग-अलग उपयोग होते
हैं इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि क्वाइल्स
को उपयोग के
आधार पर विभिन्न आकारों में
विभिन्न आधारों पर लपेटा जाता
है
इन्डक्टेन्स
जब
किसी क्वाइल को परिवर्तनशील (AC) सप्लाई
दी जाती है,
जिसका मान लगातार बदल
रहा हो
तो क्वाइल में दी गई सप्लाई से विपरीतपोलेरिटी
के वोल्टेज उत्पन्न होते
हैं ये वोल्टेज क्वाइलं को
दिए गये वोल्टेज का विरोध करते हैं क्वाइल का
यह गुण, जिसके कारण उसमें विरोधी वोल्टेज
उत्पन्न होते
हैं, इन्डक्टेन्स कहलाता है इन्डक्टेन्स
नापने की
इकाई हैनरी है हैनरी एक बड़ी इकाई
है इसकी छोटी इकाईयाँ तथा उनमें आपसी
सम्बन्ध
निम्न प्रकार होता है
1
हैनरी (H) = 1000 मिली हैनरी (mH)
1
मिली हैनरी (mH) = 1000 माइक्रो हैनरी (uH)
इन्डक्टेन्स की निर्भरता
किसी क्वायल का इन्डक्टेन्स निम्न बातों पर निर्भर करता हैं
(1) लपेटों की संख्या पर
(2) लपेटों के बीच की दूरी पर
(3) लपेटों की दिशा पर
(4) प्रयोग किये गये तार की मौटाई पर
(5) कोर की क्वालिटी पर
1लपेटौ की संख्या पर
किसी क्वाइल का इन्डक्टेन्स लपेटों की संख्या के
समानुपाती
होता है एक कम लपेटों वाली क्वाइल
का इन्डक्टेन्स कम होता हैं जबकि एक अधिक
लपेटों वाली क्वाइल का इन्डक्टेन्स अधिक होता है
2.लपेटों के बीच की दूरी पर
यदि क्वाइल में तार की लपेटें एक दूसरे
से दूर-दूर लपेटी
गई हैं तो उस क्वाइल का इन्डक्टेन्स कम होगा यदि लपेटों
के बीच
की दूरी कम है तो इन्डक्टेन्स अधिक होगा
3.लपेटों की दिशा पर
एक क्वाइल एक ही दिशा में लपेटें लगाकर बनाई जाती है
यदि
किसी क्वाइल में एक दिशा में कुछ लपेटें लगाकर
कुछ और लपटें उसके विपरीत दिशा में
लगा दी जाए तो
इन विपरीत लपेटों के कारण इन्डक्टेन्स कम हो जाता है
लेकिन यदि समान दिशाओं में लपेटी गई दो
क्वाइल्स को
आपस में जोड़ दिया जाय तो कुल इन्डक्टेन्स का मान इन
दोनों क्वाइल्स
के इन्डक्टेन्स के योग के बराबर होगा
4.तार की मौटाई पर
क्वाइल का इन्डक्टेन्स प्रयोग किये गये तार के रेजिस्टेन्स
के समानुपाती होता है चूंकि पतले तार का रेजिस्टेन्स
अधिक होता है तथा मौटे तार
का रेजिस्टेन्स कम होता है
अतः पतले तार की क्वाइल का इन्डक्टेन्स मौटे तार की
क्वाइल की अपेक्षा अधिक होता हैं
चित्रानुसाऱ ज़ब वन पोल टू वे स्विच को "A"
स्थिति में रखते हैं तो क्वाइल में करेन्ट बहना
प्रारम्भ होजाता है इस करेन्ट के कारण क्वाइल में
चुम्बकीय
क्षेत्र उत्पन्न होता है तथा क्वाइल में विपरीत
पोलेरिटी धुवता के
वोल्टेज उत्पन्न होते हैं ये वोल्टेज
क्वाइल में बहने वाली करेन्ट का विरोध करते
हैं इसके
परिणाम स्वरूप क्वाइल में करेन्ट का मान धीरे-धीरे बढता
है कुछ समय
बाद क्वाइल में पूरी C
करेन्ट
बहने लगती है
इस समय चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति भी अधिकत्तम होती है
तथा इस समय
विपरीत पोलेरिटी के वोल्टेज नही बनते
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक क्वाइल D.C.का
विरोध नहीं करती है D.C. देने पर क्वाइल में जो चुम्बकीय
क्षेत्र बनता है, वह स्थिर होता है क्योंकि दी गई D.C. का
मान भी स्थिर होता है यह मैग्नेटिक
फील्ड क्वाइल के साथ
लगी कोर मे स्टोर होता है जब हम वन पोल टू वे स्विच
को B स्थिति में लाते हैं तो बैटरी सर्किट से
हट जाती है
अतः मीटर में से होकर धारा नही बहनी चाहिए परन्तु
ऐसा नहीं होता है, बैटरी से स्विच हटाने के बाद भी मीटर
करेन्ट दिखाता है तथा इस करेन्ट का मान धीरे-२ कम
होकर समाप्त हो जाता हैं यह
करेन्ट कोर में स्टोर हुए
मैग्नेटिक फील्ड के डिसचार्ज होने के कारण उत्पन्न होती
हैं चूंकि यह मैगनेटिक फील्ड धीरे-२ डिस्चार्ज होता है
अतः इसके कारण क्वाइल में
वोल्टेज उत्पन्न होते है और
इस वोल्टेज के कारण मीटर में होकर करेंन्ट बहती है
जब
यह मैग्नेटिक फील्ड पूर्ण रूप से डिसचार्ज हो जाता है
तो क्वाइल | में वोल्टेज का बनना बन्द हो जाता है और
मीटर करेन्ट नहीं बताता इस प्रकार यह बात ध्यान रखने
योग्य है कि क्वाइल को D.C. सप्लाई देने पर क्वाइल में
स्थिर मैग्नेटिक फिल्ड बनता है
यदि किसी वाइल को A.C. सप्लाई दी जाती है तो चूँकि
AC की दिशा लगातार बदल रही है अतः इससे उत्पन्न
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भी लगातार बदलती रहती है
तथा
चुम्बकीय क्षेत्र के लगातार बदलते रहने के कारण क्वाइल
में विपरीत पोलेरिटी के
वोल्टेज लगातार उत्पन्न होते रहते
हैं इससे क्वाइल में दी गई सप्लाई का लगातार
विरोध
होता है इस प्रकार हम कह सकते हैंकि एक क्वाइल AC .
रेजिस्टेन्स का कार्य
करती है इसके अलावा क्वायल को
AC देने पर क्वाइल में परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र
बनता है
इम्पीडेंस
एक क्वाइल का इन्डक्टेंस और क्वाइल में प्रयोग किये तार
का
अवरोध दोनो मिलकर जो सम्मिलित अवरोध उत्पन्न
करते है उसे इम्पीडेन्स कहते हैं इम्पीडेंस नापने की
इकाई ओह्य (Ω) हैं
क्वाइल का संयोजन
दो या दो से अधिक क्वाइल को आपस में जोड़ना संयोजन
कहलाता
है क्वाइल्स के संयोजन तीन प्रकार है
1. सीरीज संयोजन
2. पैरेलल संयोजन
3. सीरीज-पैरेलल संयोजन
जब दो या दो से अधिक क्व.इल्स को लगातार क्रम में
चित्रानुसार लगाया जाता है तो यह उनका सीरीज संयोजन
कहलाता है सीरीज मे जुडी हुई
क्वाइल्स का कुल
इन्डक्टेन्स, प्रत्येक क्वाइल के
इन्डक्टेन्स के योग के
बराबर होता है हालाँकि सीरीज में जुडी प्रत्येक क्वाइल में
से समान करेन्ट बहती है लेकिन उत्पन्न विरोधी वोल्टेज
का मान सभी क्वाइल्स के कुल
र्नस के परिणाम स्वरूप
प्राप्त होने वाले विरोधी वोल्टेज के बराबर होता है
इस
प्रकार, क्वाइल्स के सीरीज संयोजन
में कुल इन्डक्टेन्स
का मान निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है
Lt= L1+L2+L3+
सीरीज में जुडी हुई इन क्वाइल्स की यह स्थिति, उनके
आपस में जोडने की विधि पर निर्भर करती है
यदि दो क्वाइल्स को आपस में इस प्रकार जोडा गया है
कि इनकी
लपेटों की दिशा एक समान होती है तो उन
दोनो क्वाइल्स का इन्डक्टेन्स आपस में जुड
जायेगा जैसा
कि चित्र में दिखाया गया है
क्वाइल्स को जोडने की यह विधि
सीरीज-एडिंग (Series Aiding)
कहलाती है सीरीज एडिंग का अर्थ है कि दो
क्वाइल्स के
लिए, कामन करेन्ट समान दिशा का मेग्नेटिक
फील्ड
उत्पन्न करती है यहाँ क्वाइल L1 और L2 वाइडिंग की
समान दिशा में, सीरीजं एडिंग विधि से जुडी हैं अब यदि
इन दोनो क्वाइल्स को इस प्रकार जोडा जाये कि उनकी
लपेटों की दिशा एक दूसरे से विपरीत हो जैसा कि चित्र में
दिखाया गया है तो उन दोनो
का इन्डक्टेन्स आपस में घट जाता है
क्वाइल्स को जोड़ने की यह विधि सीरीज अपोजिंग
(Series Opposing) कहलाती है यहाँ क्वाइल L1, क्वाइल
L2 के विपरीत सिरे से जुडी हुई है क्वाइल्स पर दिखाये
गये
डॉट्स के निशान इनकी समान वाइडिंग के सिरों को
दिखाते हैं
जब दो या दो से अधिक क्वाइल्स को इस प्रकार जोड़ा
जाता है
कि उनके एक साइड के सभी सिरो को एक साथ
जोड़ दिया जाय और दूसरी साइड के सभी सिरों
को एक
साथ जोड़ दिया जाय तो यह उनका पैरेलल संयोजन
कहलाता है इस संयोजन का कुल
मान निम्न सूत्र में ज्ञात करते हैं
1/L = 1/L,+1/L,+1/L,----
सर्किट में लगी एक क्वाइल, करेन्ट के
बहाव में परिवर्तन
के कारण एक निश्चित मान का इन्डक्टेन्स या विरोध
उत्पन्न करती
हैं यदि इस क्वाइल के पैरेलल में समान
आकार व मान की एक दूसरी क्वाइल लगा दी जाये
तो
सर्किट में इन्डक्टेन्स का मान कम हो जाता है इसका
कारण यह है कि इस समय
करेन्ट के दो रास्ते बन जाते हैं
हालाँकि प्रत्येक क्वाइल, सर्किट में होकर बहने वाले
करेन्ट के परिवर्तन का विरोध
करेगी लेकिन करेन्ट के दो
रास्ते बन जाने के कारण सर्किट में करेन्ट का बहाव बढ
जायेगा
इस प्रकार करेन्ट के परिवर्तन के विरोध
में कमी आती है
बहुत से सर्किटों में क्वाइल्स का एक पैरेलल संयोजन,
सीरीज मे जूडी क्वाइल के साथ जुडा होता है यह उनका
सीरीज
पैरेलल संयाजन कहलाता है क्योंकि इस संयोजन
में सीरीज और पैरेलल दोनो संयोजन बनते
हैं
इस प्रकार के संयोजन में कुल इन्डक्टेन्स ज्ञात करने के
लिए
सीरीज और पैरेलल दोनों के नियम प्रयोग किये जाते
हैं सर्वप्रथम इस संयोजन के
पैरलल सर्किट का मान ज्ञात
किया जाता है अब यह मान शेष क्वाइल्स के साथ सीरीज
में
आ जाता है, जिसे सीरीज नियम के अनुसार ज्ञात करते हैं
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How does the coil work |
इस प्रकार के सर्किट को निम्नप्रकार हल किया जा सकता है
L1(L2 + L3) + L4 = 12mH
क्वाइल में बहने वाली करेन्ट के अनुसार इसके चारों और
चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जिसे
विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र
कहते हैं इस प्रकार क्वाइल में सप्लाई देकर उसे
चुम्बकीय बनाया जाता है इस प्रकार बनी चुम्बक को
विद्युत चुम्बक कहते हैं इस
विद्युत चुम्बक की ताकत,
क्वाइल में बहने वाली करेन्ट के मान पर निर्भर करती है
यदि
क्वाइल में अधिक करेन्ट बहेगी तो चुम्बकीय क्षेत्र भी
ताकतवर होगा इसके अलावा
क्वाइल में अधिक लपेटों
की संख्या भी चुम्बकीय क्षेत्र को अधिक ताकतवर बनाती
है यह चुम्बक, एक छड़ चुम्बक की तरह ही कार्य करती
है, जिसमें नार्थ (N) और साउथ (S) पोल होते हैं
वाइंडिंग की दिशा बदलने पर या करेन्ट की दिशा बदलने
पर, क्वाइल में बनी चुम्बक के चुम्बकीय पोल्स
की ध्रुवता बदल जाती है लेकिन यदि इन
दोनों को एक
साथ बदल दिया जाये तो ध्रुवता समान रहती है
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