How do generators and a fuse work जनरेटर और एक फ्यूज कैसे काम करते हैं - technicalproblem(india)

हार्डवेयर और Software बीच आपको सभी जानकारी इस ब्लॉगर के सारे आपको मिलेगी और android.app की जानकारी मिलेगी और इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट की जानकारी मिलेगी और अन्यथा जानकारी प्राप्त होगी आपको अगर (आपको कुछ कहना है तो आप कमेंट में के सकते हैं )

welcome in india

बुधवार, 8 जनवरी 2020

How do generators and a fuse work जनरेटर और एक फ्यूज कैसे काम करते हैं

                   जनरेटर और एक फ्यूज कैसे काम करते हैंजनरेटर और एक फ्यूज कैसे काम करते हैं

How do generators and a fuse work
How do generators and a fuse work 











बहुफेस प्रणाली


सामान्य रूप से जो AC सप्लाई काम में ली जाती है

उसमें दो तार होते हैं। इनमें से एक तार फेस(Phase) 

तथ दूसरी न्यूटा होती है। यह प्रणाली सिंगल पोस प्रणाली 

(Single Phase System) कहलाती है। लेकिन जिस

प्रणाली में एक से अधिक फेस (Phase) काम में लिये जाते है, उसे 

बहुफेस प्रणाली (Multi Phase System) कहते हैं। इस प्रणाली में 

सामान्यतया दो या तीन फेस प्रयोग किये जाते हैं। इनमें प्रत्येकफेस 


की वोल्टेज (Voltage) तथा फ्रीक्वेन्सी (Frequency) समान होती है। 

जब किसी बिल्डिंग या कारखाने में विद्युत की खपत अधिक होती 

है तो वहाँ एक से अधिक फेस की सप्लाई दी जाती है। डबल फेस 

प्रणाली में बिजली के पोल से दो या तीन तार आते है। जब डबल 

फेस प्रणाली में केवल दो तार ही आते हैं तो वे दोनो तार फेस के 

तार होते हैं। इनमें न्यूट्रल का तार नहीं होता। न्यूट्रल को जमीन में 

गड्डा खोद कर बनाया जाता है। लेकिन जब डबल पोस प्रणाली में 

पोल से तीन तार आते हैं तो इनमें दो तार फेस की तथा तीसरी 

न्यूट्रल की तार होती है। इसी प्रकार थी फेस प्रणाली में भी कुलतीन 

या चार तार पोल से आते हैं। डबल फेस प्रणाली की अपेक्षा थी फेस 

प्रणाली व्यद| लाभावकारी सिद्ध हुई है। इसीलिए थी फेस प्रणाली 

का ही अधिक प्रयोग किया जाता है


विद्युत जनरेटर


जनरेटर एक ऐसी मशीन होती है, जिससे विद्युत बनाई जाती है 

इसमें दो स्थिर चुम्बकों के बीच एक क्वाइल को तेजी से घुमाया 

जाता है। इसे आर्मेचर क्वाइल कहते हैं। सिंगल पोस जनरेटर में 

केवल एक ही क्वाइल होती है। ऐसे जनरेटर, जिनमें एक सेअधिक 

आर्मेचर क्वाइल बनाई गई हो, बहुफेस जनरेटर कहलाते है। इनके 

द्वारा बनाई जाने वाली AC बहुफेस (Multi Phase)तथा बहुकरेन्ट 

(Multi Current) सप्लाई होती है।चित्र में सिंगल, डबल  थी 

फेस जनरेटर्स तथा उनके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली AC 

सप्लाई के ग्राफिकला संकेत दिखाये गये हैं।









सिंगल फेस जनरेटर

इस जनरेटर में चुम्बक के दो सिरों के बीच एक ही आर्मेचरक्वाइल 

घुमती है। इस कारण एक निश्चित फ्रीक्वेन्सी की एक आल्टरनेटिंग 

करेन्ट उत्पन्न होता हैं, जैसा कि चित्र (A) में दिखाया गया है।


 डबल फेस जनरेटर

इस प्रकार के जनरेटर में चुम्बक के दो सिरों के बीच एक साथ दो 

आर्मेचर क्वाइल्स घुमती है। ये दोनो क्वाइल्स एक दूसरे के लम्ब रूप 
(90° कोण) पर होती है, जैसाकि चित्र (B) में दिखाया गया है। 

इसके अलावा दोनों क्वाइल्स में लपेटों की संख्या भी एक समान 

होती है। इन दोनो क्वाइल्स के द्वारा जनरेटर में समान फ्रीक्वेन्सी की 

दो आल्टरनेटिंग करेन्ट उत्पन्न होती हैं। यहाँ क्वाइल्स एक दूसरे के 

लम्ब रूप होने के कारण इनके द्वारा उत्पन्न AC वेव एक दूसरे से 

90 डिग्री आगे होती है।दो फेस की सप्लाई के उपयोग के लिएतीन 

तारों का उपयोग किया जाता - है, जैसाकि चित्र में दिखाया गया है।

इन दोनो क्वाइल्स के जोड से ली गई तार को न्यूट्रल कहते हैं। अब 

यदि फेस और न्यूट्रल के बीच 200V की सप्लाई हो तो दोनों गैसों के 

बीच 200x2 = 400V की सप्लाई होगी। यदि दोनो फेसों को एक 

दूसरे से अलग रखना हो तो कुल चार तारों का प्रयोग करना पडेगा। 
यह सप्लाई नॉन-इन्टरलिंक्ड (Non Interlinked)सालाई कहलाती है



 थ्री फेस जनरेटर


इस प्रकार के जनरेटर में तीन क्वाइल्स, चुम्बकीय क्षेत्र के बीच 

घुमती है। ये तीनों क्वाइल्स एक दूसरे मे 20 के कोण पर रखी जाती 

है। तीनों वचाइल्स तीन से 80° के कोण पर रखी जाती है। तीनों 

क्वाइल्स तीन अलग-2 AC वेव उत्पन्न करती है। जैसाकि चित्र में 

दिखाया गया हैं। प्रत्येक क्वाइल के द्वारा उत्पन्न होने वाली AC का 

मान (एम्पलीट्यूड) और फ्रीक्वेन्सी समान होती है। परन्तु इनमें 120 

डिग्री का अन्तर होता हैं। पहले तीन अलग-2 सिंगल फेस जनरेटर्स 

को जोडकर तीनफेस की सप्लाई प्राप्त की जाती थी परन्तु 

आजकल एक ही आयरन कोर पर तीन क्वाइलों का प्रयोग 

करकेफेस जनरेटर बना लिए गये हैं, जैसाकि चित्र में दिखाया गया 

हैआजकल सारी विद्युतीय ऊर्जा तीन फेस AC से ही उत्पन्न की 

जाती है। इस प्रकार उत्पन्न होने वाली थ्री फेस सप्लाई 11 किलो 

वोल्ट (KV) की होती हैं। इस सप्लाई को थ्री फेस ट्रान्सफार्मर की 

सहायता से 275KV तक बढा करके आगे भेजा जाता है। विद्युत 

सब-स्टेशनों से इस सप्लाई को कम करके 1100 वोल्ट, 440V 

और 230V में बदला जाता है। तीन फेस सप्लाई में कुल चार तार 










प्रयोग किये जाते हैं। इनमें तीन तार फेस के लिए तथा चौथी तार 

न्यूट्रल या अर्थ के लिए होती है। आमतौर पर घरों को सिंगल फेस 

सप्लाई ही दी जाती है तथा फैक्ट्रियों और कल-कारखानों को थ्री 

फेस सप्लाई दी जाती है। चित्र में घरों को दी जाने वाली सिंगल 

फेस सप्लाई और कल-कारखानों को प्राप्त होने वाली थ्रीफेस 

सप्लाई को प्राप्त करने का तरीका दिखाया गया है। न्यूट्रल के होते 

हुए भी थ्री फेस सप्लाई में अर्थिग बनाना सुरक्षा की दृष्टि से काफी 

महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए थ्री फेस सप्लाई देने के कारण कल-

कारखानों में अर्थिग बनाया जाता है।






फ्यूज

फ्यूज का प्रयोग सर्किट की सुरक्षा के लिए किया जाता है। यह धातु 

का पतला तार होता है, जो एक निश्चित करेंट को ही अपने अन्दरसे 

प्रवाहित होने देता है। परन्तु यदि करेन्ट का मान बढ़ जाता हैतो यह 

गर्म होकर पिघल जाता है तथा सर्किट को बेक कर देता है। सर्किट 

में करेन्ट की खपत के आधार पर ही फ्यूज का मान निर्धारित किया 

जाता है। घरों में प्रायः 3 एम्पीयर से 15 एम्पीयर तक के फ्यूज का 

प्रयोग किया जाता है। यह पयूज टिन,सीसा,जस्ता,एन्टीमनी, तथा 

एल्यूमिनियम के द्वारा बनाये जाते हैं। घरों में फ्यूज लगाने के लिए 

पलेक्सीबल वायर के 1 या 2 तारों को निकाल कर फ्यूज बाँधने में 

प्रयोग किया जा सकता है। यदि फ्यूज के स्थान पर मौटा तार लगा 

दिया जाये तो Fuse का महत्व 

ही समाप्त हो जायगा। ऐसे सर्किट में लोड बढ जाने या शॉर्ट 

सर्किट हो जाने पर पूरी वायरिंग के जल जाने की सम्भावना रहती 

है। इसलिए फ्यूज बाँधने के लिये पतले .तार का ही प्रयोग करना 

चाहिए। यह फ्यूज, फ्यूज बेस में लगाये जाते हैं, जो चीनी मिट्टी को 

बने होते हैं।






फ्यूज के प्रकार (Types of Fuse) 


1. रिवाएरेबल फ्यूज या किट केट फ्यूज (Rewirable Fuse)


यह एक साधारण प्रकार का फ्यूज है, जो घरों में आमतौर पर प्रयोग 

किया जाता है। इसका तार आसानी से बदला जा सकता है, चाहे 

नीचे वाले बेस में सप्लाई ही क्यों ना हो। क्योंकि फ्यूज कैरियर

(कट-आउट) जिसमें फ्यूज तार लगती है, अलग हो जाता है जबकि 

बेस में आने वाली सप्लाई के तार इसमें लगे रहते हैं। ये कआउट चाइना 

मिट्टी के बने होते हैं, जो 15A से 300A तक बाजार में मिलते है।



2. हाई रेप्चरिंग केपेसिटी फ्यूज (H.R.C.)


इस प्रकार के फ्यूज अधिक करेन्ट को नियत्रित करने वाले फ्यूज 

होते हैं। यह सर्किट में शॉर्ट सर्किट होने पर करेन्ट को अधिक देर 

तक सहन कर सकते हैं। यदि सर्किट में फेस एवं न्यूट्रल आपस में 

मिलकर फिर अलग- हो जायें अर्थात दोष समाप्त हो जाये जो यह 

फ्यूज नही उडता है परन्तु फेस एवं न्यूट्रल सीधे ही स्थाई तौर पर 

मिल जायें और पॉल्ट अधिक देर तक जारी रहे तो फ्यूज उड 

जायेगा इसका बाहरी कवर काँच या किसी केमिकल कम्पाउण्ड 

का बना होता है। यह पूर्णतः पैक होने के कारण बाहरी 

मौसम,हवा, धुल, नमी से भी सुरक्षित होता है। इस प्रकार के पयूज 

2 एम्पीयर से 800 एम्पीयर तक के मान के बनते हैं।


 














3 काट्रेज फ्यूज (Cartridge Fuse)


इस प्रकार का फ्यूज पूर्णरूप से बन्द होता है। इसके सिरे पर गोल 

अथवा ट्यूब या बल्ब के आकार का इन्सुलेटिंग कन्टेनर लगा होता 

है, जो कि दोनो तरफ से सील होता है। इसके कवर को काट्रेज 

कहते हैं,जो फ्यूज एलीमेन्ट तथा उसमें भरे पाउडर को कन्टेनर में 

बन्द करके रखता है। इस फ्यूज के अन्दर साइड में पतला सा 

कागज लगा होता है, जिसे ब्लो आउट डिवाइस 

(Blow out Device)


कहते हैं। जब फ्यूज उडता है तो यह कागज भी फट 

जाता है, जिससे पता चल जाता है कि फ्यूज उड गया है। ओवर 

लोड या शॉर्ट सर्किट होने पर फ्युज उड़ जाता है। फ्यूज के अन्दर 

पडा पाउडर फ्यूज का ताप कम करके स्पार्क को रोकता है। यह 

अन्य फ्यूज  से महंगा होता है













कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in the comment box.

कृपया टिप्पणी बॉक्स में किसी भी स्पैम लिंक में प्रवेश न करें।

close