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गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

Home wiring

                      घर की वायरिंग करना

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घर की वायरिंग करना









घर की वायरिंग मेंन स्विच बोर्ड से प्रारम्भ की जाती है विद्युत बोर्ड 

वाले केवल मीटर तक विद्युत का कनेक्शन करते हैं इससे आगे 

की वायरिंग हमें स्वयं करवानी होती है इसके अलावा खम्बे से जो 

केबल, मीटर तक आती है, वह भी हमें अपने खर्चे पर लानी होती है

घरेलू वायरिंग के लिए पोल से दो तार आते हैं इनमें एक तार फेस 

(P) तथा दूसरी तार न्यूट्रल की होती · है फेस (P) के लिए केवल 

(सर्विस लाइन) के लाल तार को तथा न्यूट्रल के लिए काले तार को 

प्रयोग करते

है ये दोनो तार सर्वप्रथम विद्युत मीटर में आते हैं मीटर से निकल 

कर ये दोनो तार MCB (16A) के द्वारा D.P.




स्विच को दिये जाते हैं  इस स्विच के द्वारा किसी आपात स्थिति में 

घरेलू सप्लाई कोऑन/ऑफ किया जा सकता है  D.P. स्विच के 

बाद फेस और न्यूट्रल के तार बस-बार को दिये जाते हैं  इनसे 

MCB या किट-केट फ्यूज के द्वारा अलग- कमरों को सप्लाई दी 

जाती है इस प्रकार की व्यवस्था से कई लाभ हैं  सबसे बडा लाभ 

यह है कि किसी. एक भाग की खराबी से पूरे घर की वायरिंग 

प्रभावित नही होती है  . इस प्रकार डिस्ट्रीब्यूशन-बॉक्स सेअलग-2 

कमरों को सप्लाई लाइन देकर प्रत्येक कमरे की वायरिंग 

आवश्यकतानुसार की जाती है जिस कमरे की वायरिंग करनी होती 

है, सबसे पहले उसका विद्युतीय नक्शा (इलेक्ट्रिकल-मेप

बनाया  जाता है यह नक्शा कमरे की सभी विद्युतीय 

आवश्यकताओं को देखते हुए बनाया जाता है एक सामान्य कमरे 

में विद्युत से सम्बन्धित निम्न आवश्यकतायें होती हैं 

1.  एक या दो बल्ब होल्डर्स 

2. एक या दो ट्यूब-लाइट्स

3. एक या दो सीलिंग फैन्स 

4. एक या दो वाल-सॉकेट

इन सभी आवश्कताओं को ध्यान में रखकर एक स्विच बोर्ड बनाया 

जाता है डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स से आने वाली सप्लाई लाइन को इस 

बोर्ड से जोडा जाता है इसके अलावा, यदि कमरे में किसी अन्य 

स्थान पर कोई  अतिरिक्त प्वाइन्ट लगाना है तो उसके लिए 

सप्लाई वायर भी इस बोर्ड से निकाले जाते हैं





स्विच बोर्ड ले-आउट




वर्णन


डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड से जो सप्लाई वायर स्विच बोर्ड पर आते हैं

उनमें से फेस (P) की तार को फ्यूज के एक सिरे पर कस देते हैं

 अब लगभग एक फीट लम्बाई का तार लेते हैं तथा इसकी स्लीव 

उतार देते हैं इस नंगे तार में हल्का से ऐंठन देकर उसका एक 

सिरा फ्यूज के दूसरे सिरे पर कस देते हैं अब इस तार के दूसरे सिरे 

को चित्रानुसार, सभी स्विचों के एक-एक सिरे से निकालते जाते हैं 

तथा उनके नट को कसते जाते हैं यहाँ यह विशेष ध्यान रखना 

चाहिये कि तार और नट ढीले रह जायें अन्यथा स्पार्किंग होगी 

तथा स्विच गर्म होकर जल जायेंगेन्यूट्रल (N) की तार को इन्डीकेटर 

के एक सिरे में कस देते हैं अब एक काले रंग का लम्बा तार लेते हैं 
तथा उसे एक सिरे से लगभग 2 इन्च तक स्लीव उतार लेते हैं इस 

स्लीव उतरे हुए भाग को इन्डीकेटर के उसी सिरे में से निकालते हैं
जिसमें न्यूट्रल का तार लगाया था इस तार को स्लीव वाले भाग तक 
अन्दर लाकर नट को कस देते हैं तथा इस सिरे से बाहर निकले 

बिना स्लीव के तार को वाल-सॉकेट के दोनो सिरों से चित्रानुसार 

लगाते हैं तथा इनके नटों को कस देते हैं यदि तार इनसे ज्यादा 

बाहर निकल रहा है तो उसे काट देते हैं इसके बाद इन्डीकेटर के 

दूसरे सिरे से एक लाल वायर बाहर निकलते हैं इस प्रकार 

इन्डीकेटर के दोनों सिरों से निकले तार कमरे में इस बोर्ड के 

अलावा अन्य बोर्ड या प्वाइन्ट लगाने के लिए प्रयोग किये जाते 

हैं इसके अलावा न्यूट्रल का तार भरे में प्रत्येक प्वाइन्ट को दिया 

जाता है अब स्विच बोर्ड पर लगे स्विचों और रेग्यूलेटर की वायरिंग 

की जाती है




स्विचों की वायरिंग करना .





स्विच बोर्ड की वायरिंग में स्विचों की वायरिंग सबसे महत्वपूर्ण होती 

है इसका मुख्य कारण यह है कि स्विच बोर्ड से सम्बन्धित प्वाइन्ट 

तक वायर को सुरक्षात्मक और सुन्दरतम विधि से ले जाना होता 

है इसके लिए कई विधियाँ प्रयोग की जाती है यहाँ हम सभी प्रकार 

की विधियों का वर्णन कर रहे हैं

वायरिंग के प्रकार
वायरिंग करने के लिए मरख्यरूप से निम्नलिरिवत तीन विधियाँ 
प्रयोग की जाता है 

1. केसिंग केपिंग वायरिंग (Casing Capping Wiring) 

2. बेटन पट्टी वायरिंग (BattenPattr  Wiring)

3. अण्डर ग्राउण्ड वायरिंग (Under Ground Wiring) 



केसिंग केपिंग वायरिंग

यह वायरिंग घर के अन्दर वायरिंग करने के लिए बहुत अच्छी रहती 

है और सुन्दर भी लगती है इसमें  सबसे पहले दीवारों में लगभग 

ढाई फीट की दूरी पर लकडी की गिट्टियाँ लगाकर लकडी की नालीदार पट्टियों

को पेचो सेवकसक जाता है दीवार में गिट्टियाँ बड़ी सावधानी से लगाई जाती है इन्हें लगाने की विधि निम्न प्रकार है-



दीवार में गिट्टियाँ लगाना 


1. सर्वप्रथम दीवार पर वायरिंग का ले-आउट (स्क्रेच) बनाते हैं

2. ले-आउट पर एक निश्चित दूरी पर गिट्टी लगाने के निशान अकिंत करते हैं

 3. अंकित किये गये निशानों पर गिट्टी के चौडे भाग को दीवार के साथ लगाकर गिट्टी की आउट लाइन
दीवार पर खींचते हैं

4 अब बायें हाथ में कोल्ड चिजल लें और गिट्टी की आउटलाइन पर हथौड़े के साथ धीरे- निशान लगायें 

5. दीवार को चिजल (छैनी) से लगातार काटते हुए छेद को इतना गहरा करें कि उसकी गहराई गिट्टी कीलम्बाई से 6.5mm अधिक हो

6. अब इस छेद को रेत-सीमेन्ट के मसाले से भरें

7. अब गिट्टी के चौडे भाग को छेद में आगे की तरफ रखकर हथौडे से इतना ठोकें कि गिट्टी दीवार के तल से 6.5mm अन्दर तक चली जाये बाहर निकले सीमेन्ट मसाले को साफ कर दें

8. अन्त में गिट्टी के ऊपरी तल पर प्लास्टर करके दीवार की सतह को चिकना कर दें

9 गिट्टीयों की लम्बाई 5 सेन्टीमीटर और अन्दर वाले भाग का क्षेत्रफल 2.5 वर्गसेमी तथा बाहर वाले भाग का क्षेत्रफल 2 वर्ग सेमी होना चाहिये

बेटन पट्टी वायरिंग (BattenPattr  Wiring)


बेटन पट्टी वायरिंग

इस प्रकार की वायरिंग घरेलू वायरिंग के लिए की जाती है क्योंकि 



इसमें वायरिंग का खर्चा कम होता है और वायरिंगआसानी से हो 



जाती है इस प्रकार की वायरिंग में सागवान लकडी की सीधी 

पट्टियाँ (बैटन) प्रयोग की जाती है इन पट्टियों की मौटाई लगभग 

10mm से 13ram मे होती है इन पद्रियों की चौडाई अलग- होती 
है, जो आवश्यकताके अनुसार प्रयोग की जाती है इनका प्रयोग 
तारों की संख्या के आधार पर किया

जाता है यदि तारों की संख्या बढती है तो बैटन-पट्टीकी चौडाई भी 

बढ़ जाती है बैटन पट्टी का साइज और | तारों की संख्या नीचे दी गई है





बैटन की चौडाई x मौटाई                तारों की संख्या
13mm x 13mm                                    2


25mm x 13mm                                    4

31mmx 13mm                                      5

35mm x 13mm                                    6

 45mmx 13mm                                    7

 50mmx 13mm                                    8


 63mm x 13mm                                  10

यदि इनमें अधिक चौडाई की बैटन पट्टी की आवश्यकता होती है 

तो दो या दो से अधिक पट्टियों को जोडकर प्रयोग किया जाता 

है इस बैटन पर 15-15cm की दूरी पर 12mm की कीलों से लिंक 

क्लिप लगाये जाते हैं इस प्रकार तैयार बैटन पट्टी को दीवार पर 

लगी गिट्टियों पर वुडन स्क्रूज के द्वारा कस दिया जाता है इसके 

बाद इन क्लिपों में तारें कस दी जाती है इस वायरिंग में C.T.S. या 

T.R.S. तारें प्रयोग में लाई जाती है इसलिए इस प्रकार की वायरिंग 

को C.T.S. वायरिंग के नाम से जाना जाता है आजकल इन तारों 

के स्थान पर PVC तार तथा AVOकी बैटना भी प्रयोग की जाती 

है यह सस्ती और कम समय में तैयार होने वाली वायरिंग है दसका 

प्रयोगा आजकला बहुतायत में किया जाता है

अण्डर ग्राउण्ड वायरिंग (Under Ground Wiring) 



इस प्रकार की वायरिंग में भवन निर्माण के समय ही दीवारों के प्लास्टर के 



अन्दर कन्ड्यूट पाइप (ConduitPipe) या PVC पाइप में तारों को 



लगाया जाता है कन्ड्यू पाइप नर्म लोहे की चादर के बने पाइप होते हैं ये 

अलग- साइज के होते हैं इनका साइज इनके बाहरी व्यास से नापा जाता 

है सामान्यतया कन्ड्यूट पाइप का साइज तारों की संख्या पर निर्भर करता 

है इस प्रकार की वायरिंग में यह बात ध्यान रखनी चाहिये कि पाइप में 

तारों की संख्या आवश्यकता से अधिक हो अन्यथा वायरिंग में खराबी 

जाने की स्थिति मे तारों को बदलने में बड़ी कठिनाई आती है आजकल 

लोहे के कन्ड्यूट पाइप के स्थान पर PVC पाइप का उपयोग अधिक 

किया जा रहा है यह अपेक्षाकृत सस्ता पडता है इसके अलावा लोहे के पाइप को अर्थ करना जरूरी

हो जाता है जबकि PVC पाइप को अर्थ करने की आवश्यकता 

नहा हाता अण्डर ग्राउण्ड वायरिंग में प्रयोग किया जाने वाला तार 

अच्छी क्वालिटी का होना चाहिये क्योंकि कभी भी लाइन बेक हो 

जाने की स्थिति में वायरिंग को बाहर निकालने में काफी असुविधा होती है




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