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रविवार, 15 दिसंबर 2019

Wires And Cables



Wires And Cables

तार और केबल किसे कहते है और इन में क्या अंतर है

                  
Wires And Cables
Wires And Cables
        








                               
तार और केबल वह माध्यम है, जिनके द्वारा विद्यत एक स्थान से 

दूसरे स्थान पर लाई या ले जाई जाती है तार तथा केबल मुख्य 

अन्तर यह होता है कि तार केवल चालक पदार्थ की नंगी डोरी होती 
है इस पर इन्सुलेशन चढा हुआ नहीं होता जबकि केबल, चालक 

पदार्थ की उस डोरी को कहते हैं जिसके ऊपर इन्सुलेशन चढा 

हुआ होता है केबल में तार के ऊपर रबड; पी.वी.सी. आदि का 

इन्सुलेशन चढाया जाता है इससे निम्न लाभ है


 1. तार में से करेन्ट लीक नही होता 

 2. हाथ टच होने पर झटका लगने का डर नहीं होता

बिजली के खम्भों पर जो तार प्रयोग की जाती है, उन पर 

इन्सुलेशन नहीं होता क्योंकि ये लगभग 25-30 फीट की ऊँचाई 

पर लगाई गई होती है तथा आम आदमी की पहुंच इन तारों तक 

नही होती जब कभी इस वायरिंग पर कोई काम करने की 

आवश्यकता होती है तो इनकी सप्लाई को बन्द कर दिया जाता है

इन्हें - ओवर हैड तार कहते हैं

ओवर हैड तारों के रूप में A.C.S.R (Aluminium Conductor 

SteeIReinforced) तारों का भी प्रयोग किया जाता है इन तारों 

के बीच मे एक स्टील की कोर होती है तथा इसके चारों तरफ 

एल्यूमिनियम होता है स्टील की कोर.तार को शक्ति प्रदान करती 

है तथा करेन्ट एल्यूमिनियम भाग में प्रवाहित होती है इस प्रकार 

की तारों कम प्रयोग हाई वोल्टेज लाइन के लिए किया जाता है 

इसके प्रयोग से खम्भों के बीच की दूरी को बढाया जा सकता है

                         

          
 कछ केबल्स ऐसी होती है, जिन पर इन्सुलेशन की कई परतें होती 

हैं ये केबल्स जमीन के अन्दर प्रयोग  की जाती है इन्हें अण्डर 

ग्राउण्ड केबल्स कहा जाता है जमीन के अन्दर की विभिन्न 

विपरीत परिस्थितियों के कारण ही इन पर   लकर मत्सूलेशन की 

कई- परतें लगाई जाती है ताकि वायर्स खराब हों







घरेलू तारें (Domestic Wires)


घरों की विद्युत वायरिंग करते समय जो तार प्रयोग किये जाते हैं

उन्हें घरेलू तार कहते हैं ये तार मेंन  लाइन के तारों से पतले और 

कम क्षमता वाले होते हैं इन तारों पर भी इन्सुलेशन लगा होता है

 बनावट के आधार पर तार के प्रकार

किसी तार मे बनावट के आधार पर मुख्य रूप से दो चीजें होती हैं




1.तार का पदार्थ (Conductor of Wire)


 घरेलू वायरिंग में प्रयोग किये जाने वाले तार सामान्यतया  

एल्यूमिनियम या ताँबे के होते हैं इनमें या तो सिंगल तार होते हैं या 

कई तारों को लपेट कर एक कॉमन  तार बनाई जाती है 

सामान्यतया एल्यूमिनियम की तारें सख्त होती हैं तथा ताँबे की तारें गर्म होती हैं

2. इन्सुलेशन (Insulation):


यह एल्यूमिनिय या ताँबें के तारों के ऊपर चढाया जाने वाला 

कुचालक पदार्थ होता है वायर्स पर निम्न प्रकार के इन्सुलेशन्स 

प्रयोग किये जाते हैं




(a) कपडा और सिल्क (Cotton and Silk) इनका प्रयोग भी तारों को ढकने के लिए किया जाता है


(b) कागज (Paper)


कागज को तेल में भिगोकर उसे तारों के ऊपर चढाया जाता है 

अण्डर ग्राउण्ड केबल में इस प्रकार के कागज का प्रयोग प्रथम 

इन्सुलेटर के रूप में किया जाता है इसके बाद, इस के ऊपर 

अन्य कई प्रकार के इन्सुलेटर्स लगाये जाते हैं 

(c)रबड (Rubber)


प्राकृतिक रबड, पेडों से प्राप्त किया जाता है यह कच्चा और 

जल्दी पिधल जाने वाला रखड होता है इसका प्रयोग बिजली के 

कामों मे नही किया जाता प्राकृतिक रबड में गन्धक (Sulphur) 

मिलाकर इसको पक्का बनाया जाता है इस क्रिया को 

वेल्केनाइजेशन कहते हैं ये तार V.I.R. तार (Vulcanised Indian Rubber wires) कहलाते हैं


(d) पी.वी.सी. (P.V.C.)


इसका पूरा नाम पोली विनाइल क्लोराइड (Poly VinyIChloride) 

हैं इसका प्रयोग बिजली की तारों को ढकने के लिए किया जाता 

है

(e) प्लास्टिक (Plastic) 


बिजली की तारों को इन्सुलेट करने के लिए प्लास्टिक का भी प्रयोग 
किया जाता है ये लचीला पदार्थ है अतः प्लास्टिक चढी तारों को 

फ्लेक्जिबल तार (Flexible or Plastic Wire) कहते हैं

तारों के प्रकार तथा उनके उपयोग

(a) वी.आई.आर. तार (V.I.R. Wire)


इसका पूरा नाम वेल्केनाइज्ड इन्डियन रखड तार है यह 

अधिकतर मकानों की विद्युत वायरिंग करने के लिए प्रयोग 

किया जाता है यह तार कण्ड्यूट पाइप और केसिंग केपिंग 

वायरिंग में प्रयोग किया जाता है



(b) सी.टी.एस. तार (C.T.S. Wire)


C.T.S. का पूरा नाम केबल टायर शीथ (Cable Tyre Sheath) 

है इसमें रबड के इन्सुलेशन पर एक ओर सफेद - रंग का कठोर 

रबर का इन्सुलेशन चढाया जाता है इससे इस पर पानी और गर्मी 

का कोई प्रभाव नहीं पड़ता इसका प्रयोग बैटन पट्टी वायरिंग में 

किया जाता है यह एक, दो और तीन कोर (तार) के होते हैं









(c) पी.वी.सी. (P.V.C.)



 इसका पूरा नाम पोली विनाइल क्लोराइड (PolyVinyIChloride) 

वायर है P.V.C एक इन्सुलेशन होता है,जो

चालक तार पर चढाया जाता है यह रंगीन तथा रबर की तरह 

लचकदार इन्सुलेशन है, जो गर्मी-सी को अच्छी तरह सहन कर 

सकता हैं इसका प्रयोग कन्ड्यूट वायरिंग, केसिंग-केपिंग वायरिंग 

और बेटन पट्टी वायरिंग तीनों में किया जा सकता है लेकिन इसे 

लटकने वाले विद्युत उपकरणों के साथ प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये 
                           

(d) फ्लेक्सीवल तार (Flexible wire)


           

ये तार कापी लचीले होते हैं इनमें इन्सुलेशन पी.वी.सी. का ही 

होता है लेकिन इसमें बहुत पतले तार प्रयोग किये जाते हैं यह 

तार स्थाई वायरिंग के लिए प्रयोग नहीं किया जाता इसे अस्थाई 

वायरिंग के लिए - प्रयोग किया जाता है इसे वायर्स की संख्या और 

वायर के गेज के आधार पर प्रयोग किया जाता है सामान्यतया 

इनका प्रयोग वाल-सॉकेट से बाहरी कनेक्शन लेने के लिए प्रयोग 

किया जाता है इसकी लेवल में दो अलग- वायर्स प्रयोग किये 

जाते हैं, जो आपस में लिपटे हुए होते हैं कई बार दो इन्सुलेटेड 

फ्लेक्जिबल से वायर्स को एक अन्य रबर या प्लास्टिक के 

इन्सुलेशन में लगाकर एक केबल के रूप में प्रयोग किया जाता है 

कई बार इसकी केवल को तापरोधक रखड, एस्वैस्टॉस तथा सूती 

डौरी लगाकर भी तैयार किया जाता है इस प्रकार की केबल्स 

विद्युत प्रेस और हीटर्स के साथ प्रयोग की जाती है





तार की कोर


किसी केबल मे एक इन्सुलेशन से निकली तारों की संख्या को कोर कहते हैं 
यदि किसी इन्सुलेशन  में से केवल एक तार निकली हुई है तो 

उसे सिंगल कोर केबल कहा जाता है यदि तारों की संख्या दो हो

तो उसे डबल या ट्वीन कोर केवल तथा यदि यह संख्या तीन है तो 

इसे तीन कोर केबल कहा जाता है केबल में प्रयोग किये गये तार 

की मौटाई को गेज कहते हैं यदि किसी केबलं में 18 गेज की

तार प्रयोग किये गये हैं तो उसे 3/18 की केवल कहा जाता है 

इसमे पहली संख्या, वायर्स की संख्या को तथा दूसरी संख्या उस 

वायर के गेज को प्रदर्शित करती है
बिजली की केबल्स में ठोस, मौटी तार प्रयोग करके केवल्स में 

तारों की संख्या को बढ़ा दिया जाता है इससे केबल्स में लचक बढ 

जाती है इसके अलावा इनकी करेन्ट केपेसीटी भी बढ़ जाती है 

चूंकि केबल्स का आकार गोल होता है अतः इसमें तारों की संख्या 

इस प्रकार रखी जाती है कि इनके ऊपर इन्सुलेशन चढाने - पर 

केबल का साइज गोल बनाया जा सके सामान्यतया यह संख्या 

3,7,19,37------ रखी जाती है



तारों की साइज

तारों का साइज इनके व्यास (मौटाई) के आधार पर नापा जाता है 

और इस व्यास (Diameter) के आधार पर तारों के एक निश्चित 

नम्बर दिये गये हैं इसे स्टेण्डर्ड वायर गेज SWG) नम्बर कहा 

जाता है जैसे- तार का व्यास बढता है, वैसे- उसके गेज नम्बर 

कम होते जाते हैं सबसे बडा गेज नम्बर 40 है, जिसका व्यास 

0.121mm होता है सबसे छोटा गेज . सात शून्य (7/0) है

जिसका व्यास 12.7mm होता है इस प्रकार सभी मुख्य तारों के 

व्यास नाप कर उनको एक निश्चित गेज नम्बर दिये गये हैं यहाँ हम 
इनकी एक सारणी दे रहे हैं


      

       BRITISH STANDARD WIRE GUAGE (SWG)

     GUAGE                             DIAMETER

       NO                         INCH                        MM
       
       7/0                             .5                        12.7000

      6/0                           .464                       11.786

      5/0                          .432                       10.9728

      4/0                           .4                          10.1600

      3/0                         .372                        9.4488

      2/0                         .348                        8.9392

       0                          .324                         8.2296

       1                          .300                         7.6200

       2                          .276                         7.0104

       3                          .252                         6.4008

       4                          .232                         5.8928

       5                          .212                         5.3848

       6                          .192                         4.8768

       7                          .176                         4.4704

       8                          .160                         4.0640

       9                          .144                         3.6576

      10                         .128                         3.2512

      11                         .116                         2.9464

       12                       .104                          2.6416

       13                       .092                         2.3368

       14                       .080                         2.0320

       15                       .072                         1.8288

       16                       .064                          1.6256

       17                       .056                         1.4224

       18                       .048                         1.2192

       19                       .040                         1.0160

       20                       .036                         0.9144

       21                       .032                         0.8128

       22                       .026                         0.7112

       23                       .024                         0.6096 
 
       24                      .022                          0.5588

       25                      .020                          0.5080

       26                      .016                          0.4575

       27                      .0164                        0.4166

       28                      .0148                        0.3759 

       29                      .0136                        0.3454

       30                      .0124                        0.3150

       31                      .0116                        0.2946

       32                      .0108                        0.2743

       33                      .0100                        0.2540

       34                      .0092                        0.2337

       35                      .0084                        0.2134


       37                     .0068                         0.1727

       38                     .0060                         0.1524

       39                     .0052                         0.1321

      40                      .0048                         0.1219








तार का सलेक्शन करना


किसी वायरिंग के लिए तार का सलेक्शन करेन्ट के मान केअनुसार 

किया जाता है उदाहरण के लिए यदि हमें 10 एम्पीयर करेन्ट के 

लिए वायरिंग करनी है तो हम ऐसी तार का सलेक्शन करेंगे, जो 

कम से कम 10 एम्पीयर करेन्ट को सहन कर सके इससे कम 

क्षमता की केबल प्रयोग करने पर केबल गर्म होकर जल जायेगी

यहाँ हम कुछ विशेष साइज की केबल्स की करेन्ट केपेसिटी की सारणी दे रहे हैं

             केबल का साइज             करेन्ट केपेसिटी
               1/20                              3 एम्पीयर



               3/20                             15 एम्पीयर  
                  
               7/22                             20 एम्पीय

               7/20                             28 एम्पीयर
             

सर्विस केबल


यह केबल हाउस वायरिंग के समय खम्भे से मेंन बोर्ड तक सप्लाई 

लाने के लिए प्रयोग की जाती है यह वैदर प्रुफ केबल होती है

इसका कन्डक्टर पहले रबर से और इसके बाद कॉटन थेड बेडिंग 

से लपेटा जाता है यह वेडिंग मेटीरियल वाटर प्रुफ कम्पाउन्ड में 

भिगोया हुआ होता है यह डबल कोर केबल होती है खम्भे से मेंन 

बोर्ड तक, इस केबल के साथ 10SWG का G.I वायर लगाया 

जाता है Sc.इसे लो देन्सन केवल (LT Cable) कहते हैं यह 


1000 वोल्ट की सप्लाई के लिए प्रयोग की जाती है.

LT Cable Wire 


                         विभिन्न प्रकार के तार

पी.वी.सी. वायर (Polyvinayal Chloride)



1B = स्ट्रेडेड कन्डक्टर

वी.आई.आर. वायर (वेल्केनाइज्ड इण्डियन रबड)


1 = कन्डक्टर 


3 = वेल्केनाइज्ड रबड इन्सुलेशन

4 = टेप 



सी.टी.एस. (क्रब टायर शीथ) या टी.आर.एस. वायर (टफ रबड शीथ)




3 = वेल्केनाइज्ड रबड



वैदरप्रुफ वायर





4 = काटन टेप 





 फ्लेक्सीबल (कॉटन या सिल्क कवर्ड)






रबड और पी.वी.सी. इन्सुलेटिड




3 = सी.टी.एल. और टी.आर. फ्लैक्सिीबल 


2 = रबड इन्सुलेशन 







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