चुंबकत्व और विद्युत चुम्बकMagnetism and electromagnet
चुम्बकत्व
और विद्युत चुम्बक
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magnetism and electromagnet |
चुम्बक
एक ऐसी धातु होती है,
जो लोहे या लोहे
से बनी
वस्तुओं को अपनी ओर खींच लेती है
इसका एक सिरा नॉर्थ (N) और दूसरा सिरा साउथ
(S) कहलाता है
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जब
चुम्बक को स्वतन्त्र रूप से एक धागे के साथ
लटकाया जाता है तो यह उत्तर-दक्षिण
दिशा में
रूक जाती है चुम्बक का जो सिरा, उत्तर दिशा की
ओर रुकता है, उसे चुम्बक का उत्तरी धुव (North
Pole) तथा जो सिरा, दक्षिण दिशा की ओर रूकता
है, उसे दक्षिणी ध्रुव (South Pole) कहते हैं दो
चुम्बकों के एक-समान ध्रुव (Similar Poles) एक
दूसरे को प्रतिकर्षित (Repel) करते हैं तथा
असमान ध्रुव (Opposite Pole) एक दूसरे को
आकर्षित (Attract) करते है
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प्राकृतिक
चुम्बक पत्थर के रूप में प्राप्त होती है
इन चुम्बकों की शक्ति काफी कम होती है
चुम्बक की शक्ति बढाने के लिए कृत्रिम चुम्बक
बनायी जाती है इन्हें किसी भी आकार
में बनाया
जा सकता है
कृत्रिम
चुम्बक दो प्रकार के होते हैं
1. स्थायी चुम्बक 2.
अस्थायी चुम्बक
वे
चुम्बक, जो अपनी चुम्बकता बहुत समय तक
स्थिर रखें, स्थायी चुम्बक कहलाते हैं ये चुम्बक
बार-चुम्बक (Bar
Magnet), नाल चुम्बक (Horse-
shoe Magnet), यू-चुम्बक (U-Magnet), चुम्बकीय
सुई (Compass needle) आदिकईdआकारों में
बनाये जाते हैं
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अस्थाई चुम्बक को विद्युत चुम्बक भी कहा जाता
है इन्हें लोहे
की छड पर क्वाइल लपेट कर
बनाया जाता है जब इस क्वाइल को सप्लाई दी
जाती है तो यह
चुम्बक बन जाती है यह, तब
तक ही चुम्बक बनी
रहती है,जब तक क्वाइल को
सप्लाई दी जाती है सप्लाई के हटाते ही इसकी
चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है
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है इन्हें लोहे
की छड पर क्वाइल लपेट कर
बनाया जाता है जब इस क्वाइल को सप्लाई दी
जाती है तो यह
चुम्बक बन जाती है यह, तब
तक ही चुम्बक बनी
रहती है,जब तक क्वाइल को
सप्लाई दी जाती है सप्लाई के हटाते ही इसकी
चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है
चुम्बकीय क्षेत्र
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यह
चुम्बक के आस-पास का वह स्थान होता है,
जिसमें उस चुम्बक का चुम्बकीय प्रभाव, क्रियाशील
(active)
होता है हम इस क्षेत्र
को देख नहीं सकते
परन्तु चुम्बक के आस-पास बने इस प्रकार के क्षेत्र
के अस्तित्व
को चुम्बकीय सुई के द्वारा जाँचा जा
सकता है तथा इस क्षेत्र को बल रेखाओं के
द्वारा
प्रदर्शित किया जा सकता है ये बल रेखायें उत्तरी
ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव
की ओर जाती है
इन चुम्बकीय बल रेखाओं को फ्लक्स के नाम से
भी जाना जाता है
मेग्नेटिक
फ्लक्स
किर्स चुम्बकीय क्षेत्र की कुल बल रेखाओं की मात्रा
को मेग्नेटिक फ्लक्स के
नाम से भी जाना जाता
है
फ्लक्स डेन्सिटी
किसी बिन्दू पर फ्लक्स
डेन्सिटी, उस बिन्दू के
एक यूनिट
काट-क्षेत्रफल Cross
Section Area) में
से गुजर रहे पलक्स की अधिकत्तम मात्रा होती है
मेग्नेटोमोटिव फोर्स Magnetomotive force या
MMF
किसी
चुम्बकीय सर्किट में मेग्नेटोमोटिव पोर्स
(MMF) वह बल है,
जो चुम्बकीय क्षेत्र
में फ्लक्स
को चलाता है यह बल क्वाइल की ट! और इसमें
चल रहे करेन्ट के गुणनफल के
द्वारा नापा जाता
है इसकी इकाई एम्पीयर टर्न (AT) है
एम्पीयर
टर्न (AT)
= Nx I
जहाँ, N = क्वाइल में टर्न की संख्या
i
= क्वाइल में बहने वाली
करेन्ट
एक
क्वाइल मेग्नेट में,
मेग्नेटिक फील्ड की
शक्ति,
इस बात पर निर्भर करती है कि क्वाइल के टर्नस
में कितनी करेन्ट बहती है यदि अधिक करेन्ट
बहती है तो उत्पन्न होने वाला
मेग्नेटिक फील्ड
शक्तिशाली होता है इसके अलावा एक निश्चित
लम्बाई की क्वाइल में
ट्र्नस की संख्या अधिक
होने पर भी मेग्नेटिक फील्ड शक्तिशाली होता है
इस समय
क्वाइल
एक छड
चुम्बक की तरह कार्य करती है, जिसके
सिरों पर दो विपरीत पोल्स होते हैं इसके
Scanned witoga N ༝1 के अनुसार एम्पीयर- ट्र्नस
में की जा सकती है
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इन चित्रों में, दो क्वाइल्स के सर्किट दिखाये गये
हैं चित्र-a में दिखाई गई क्वाइल में 5 टुर्नस हैं
तथा इसमें 2 एम्पीयर की करेन्ट बह रही है
इसके एम्पीयर-टर्नस 10 हैं चित्र-b में दिखाई गई
क्वाइल में 10 टर्नस हैं तथा इसमें 1 एम्पीयर की
करेन्ट बह रही है इसमें एम्पीयर टर्नस भी 10 हैं
इस प्रकार दोनो ही स्थितियों में एम्पीयस्ट्स
समान है करेन्ट का मान क्वाइल में प्रयोग किये
गये तार के रेजिस्टेन्स और सोर्स
वोल्टेज के
द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा एम्पीयर नस
का मान आवश्यक मेग्नेटिक
फील्ड की शक्ति
पर निर्भर करता है
मेग्नेटाइजेशन
की इन्टेन्सिटी (Intensity
of
Magnetisation)
'छड (Bar) चुम्बक के प्रति
यूनिट पोल क्षेत्र
के ऊपर उत्पन्न होने वाली पोल शक्ति को
मेग्नेटाइजेशन की
इन्टेन्सिटी कहते हैं
पर्मीएबिलिटी (Permeability)
वायु
की तुलना में किसी . माध्यम की चुम्बकीय
बल रेखाओं को अपने में से गुजारने की
शक्ति की
उस माध्यम की पर्मीएबिलिटी कहा जाता है
ससेप्टिबिलिटी
(Susceptibility) .
किसी पदार्थ की चुम्बक बनने की शक्ति को
उसकी ससेप्टिविलिटी कहा जाता है एक नर्म लोहे
की ससेप्टिबिलिटी, स्टील से अधिक होती है
मेग्नेटिक
सर्किट
चुम्बकीय
फ्लक्स के द्वारा बनाया गया मार्ग,
मेग्नेटिक सर्किट कहलाता हैं
रिलक्टेन्स
(Reluctance)
चुम्बकीय
सर्किट में चुम्बकीय पलक्स के द्वारा
बनाये गये मार्ग में डाली गई रुकावट अथवा
अवरोध रिलक्टेन्स कहलाता है
रेजीड्यूअल मेग्नेटिज्म
यह, वह चुम्बकता है, जो प्रभावी मेग्नेटिक
पोर्स को हटाने पर शेष
रह जाती है
मैग्नेटिक लिकेज (Magnetic Leakage)
चुम्बकीय पलक्स का वह योग, जो प्रयोग में आने
वाले मार्ग से बाहर चला जाता है, मैग्नेटिक लिकेज
कहलाता है इसके कारण उस उपकरण की कार्य
क्षमता में कमी आती
है
चुम्बकीय
प्रेरण (Magnetic
Induction)
किसी
पदार्थ का,
किसी चुम्बक के सम्पर्क
में
आकर चुम्बकीय गुण ग्रहण करने की क्रिया को
चुन्दलीय प्रेरण कहते हैं
करेन्ट
में चुम्बकीय प्रभाव
जब
किसी चालक (Conductor)
में करेन्ट का
बहाव (Flow) होता है तो चालक के आस-पास
चन्बकीय क्षेत्र
बनता है प्रवाहित करेन्ट का मान
कम होने पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान कम होता है
तथा करेन्ट अधिक होने पर चन्द्रकीय क्षेत्र का
मान भी अधिक होता है इससे सिद्ध
होता है कि
उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान, करेन्ट के मान
पर निर्भर करता है चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और
करेन्ट की
दिशा हमेशा एक दूसरे से 90
का कोण
बनाती है
चुम्बकीय
क्षेत्र की दिशा और करेन्ट की दिशा "दायें
हाथ के नियम"
(Right hand rule) के
द्वारा
आसानी से ज्ञात की जा सकती है
जब चालक (Conductor) को दायें हाथ से इस
प्रकार पकडा जाता है कि अँगूठे की दिशा करेन्ट
की दिशा में हो तो अंगूलियाँ, चालक के इर्द-गिर्द
बने चुम्बकीय
क्षेत्र के घेरों की दिशा को प्रदर्शित
करती है, जैसे
कि चित्र में दिखाया गया है
क्वाइल
के पोल ज्ञात करने के नियम
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जब एक
क्वाइल में करेन्ट का वहाव होता है तो
वह एक छड चुम्बक के रूप में कार्य करती है
इसे ही विद्युत चुम्बक कहते हैं इस चुम्बक के
भी उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होते
हैं क्वाइल का
कौन सा सिरा दक्षिणी ध्रुव होगाा और कौन सा
उत्तरी ध्रुव, यह निम्नलिखित नियम से ज्ञात किया
जा सकता है विद्युत चुम्बक की पोलेरिटी
(ध्रुवता) को निर्धारित करने के लिए लेफ्ट-हेन्ड
रूल
का प्रयोग करते हैं,
जैसाकि चित्र में
दिखाया
गया है
इसके
अनुसार, क्वाइल को बायें हाथ से इस प्रकार
पकडते है कि
हाथ की अंगुलियाँ,
इलेक्ट्रॉन फ्लो
की
दिशा को प्रदर्शित करें तो अंगूठा उत्तरी ध्रुव
(North Pole) को प्रदर्शित करता है
इस प्रकार चुम्बकीय ध्रुवता, करेन्ट
के फ्लो की
दिशा और वाइडिंग की दिशा पर निर्भर करती है
करेन्ट की दिशा, वोल्टेज सोर्स के कनेक्शन्स के
द्वारा
निर्धारित की जाती है इलेक्ट्रॉन का बहाव,
वोल्टेज
सोर्स के निगेटिव सिरे से, क्वाइल के
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द्वारा
पोजिटिव सिरे पर आता है
वाइडिंग की दिशा क्लॉक वाइज या एन्टी क्लॉक
वाइज प्रारम्भ की
जा सकती है क्वाइल की दिशा
बदलने पर या करेन्ट की दिशा बदलने पर
चुम्बकीय ध्रुवता
बदल जाती है यदि क्वाइल की
दिशा और करेन्ट की
दिशा को एक साथ बदल
दिया जाये तो ध्रुवता समान रहती है
म्यूचुअल
इन्डक्शन
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जब किसी क्वाइल में परिवर्तनशील करेन्ट बहती
है तो उस क्वाइल क
चारों ओर एक परिवर्तनशील
चुम्बकीय क्षेत्र बनता है इस परिवर्तनशील
चुम्बकीय
क्षेत्र में यदि कोई दूसरी क्वाइल रख दी
जाये तो इस क्वाइल मे वोल्टेज उत्पन्न हो
जाते
हैं इस उत्पन्न वोल्टेज के कारण इसमें करेन्ट
बहती है इस करेन्ट का मान भी
परिवर्तनशील
होता है, जिससे इसके चारों ओर
परिवर्तनशील
चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है यह चुम्बकीय क्षेत्र
पहली क्वाइल
में वोल्टेज उत्पन्न करता है इस
प्रकार दोनो क्वाइल्स एक दूसरे में वोल्टेज
उत्पन्न
करती है इसे म्यूचुअल इन्डक्टेन्स कहते हैं
इसकी इकाई हैनरी है
जब एक
आयरन कोर वाली क्वाइल में AC
करेन्ट
प्रवाहित होती
है तो इसकी कोर में भी वोल्टेज
उत्पन्न होते हैं क्योंकि यह भी एक चालक होता
है इससे आयरन कोर में करेन्ट प्रवाहित होती है
यह करेन्ट एडी करेन्ट (Eddy Current) कहलाती
है यह करेन्ट कोर के क्रॉस सेक्शन में
एक
गोलाकार रास्ते से बहती है, जैसाकि चित्र में
दिखाया गया है
यह एडी करेन्ट, कोर में उष्मा के रूप में खर्च होती
है तथा पावर
का लॉस करती है इस एड़ी करेन्ट
का पलक्स, क्वाइल के पलक्स का विरोध करता है
तथा क्वाइल का पलक्स कम हो जाता है क्वाइल
के मेग्नेटिक फील्ड को स्थिर बनाये रखने के लिए
इसे अधिक करेन्ट की आवश्यकता होती
है
इन्डक्टेन्स में AC करेन्ट की फ्रीक्वेन्सी अधिक
होने पर एडी करेन्ट लॉसेस भी अधिक होते हैं एडी
करेन्ट, क्वाइल में प्रवाहित AC से न केवल उसकी
कोर में उत्पन्न होती है बल्कि उस क्वाइल के
पास रखे किसी भी चालक में उत्पन्न हो सकती है
उदाहरण के लिए
एक मेटल कवर में भी एडी
करेन्ट लोसेस हो सकते हैं मोटर में एडी करेन्ट
लोसेस को
कम से कम करने के लिए कई विधियाँ
प्रयोग में लाई जाती है
चुम्बकीय क्षेत्र में करेन्ट युक्त चालक पर बल
जब
किसी चालक,
जिसमें करेन्ट पलो हो
रहा होता
है,
को चुम्बकीय क्षेत्र
में रखा जाता है तो इस
चालक के ऊपर बल लगता है इस बल की दिशा,
करेन्ट की दिशा और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा,
दोनो के लम्ब रूप में होती है यह बल चालक को
इस दिशा में चलाने का प्रयास करता है इस बल
का मान निम्नीलाखत बातों पर निर्भर
करता है
1.
चालक में प्रवाहित
करेन्ट I
(एम्पीयर) पर
2.फ्लक्स डेन्सिटी B
(बेबर प्रति वर्गमीटर)
3.
चालक की लम्बाई L (मीटर)
यदि
चालक चुम्बकीय क्षेत्र से 0°का कोण बनाता हो तो –
बल (F) = B ༝I ༝L Sine न्यूटन
जव = 90° हो तो चालक, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्ब
रूप होगा और Sin 90 का मान 1 होगा
इस समय, बल (F)
= B༝ I༝ L༝ 1 न्यूटन
जब 0 = 0 हो तो चालक, चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर
रूप में होगा और Sin 0 का मान 0 होगा इस
समय बल (F) = B ༝ l ༝ I ༝ 0 = 0 न्यूटन l अर्थात इस
स्थिति में चालक पर कोई बल नही लगेगा
इलेक्ट्रोमोटिव
फोर्स या विद्युत वाहक बल (EMF)
जव
चालक के इर्द-गिर्द उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
मेग्नेटिक फील्ड के फ्लक्स को काटता है तो उस
चालक के एक्रोस एक फोर्स (बल) उत्पन्न होता है
इस बल को इलेक्ट्रोमोटिव पोर्स
कहते हैं यह बल
उस चालक को एक निश्चित दिशा में गति प्रदान
करता है
इलेक्ट्रोमेग्नेटिक
इन्डक्शन (Electro
Magnetic Induction)
किसी
चालक में चम्बकीय फ्लक्स द्वारा उत्पन्न
किये गये इलेक्ट्रोमोटिव पोर्स के द्वारा
उत्पन्न
इन्डक्शन को इलेक्ट्रो मेग्नेटिक इन्डक्शन कहते
हैं इसी
इलेक्ट्रोमेग्नेटिक इन्डक्शन के कारण
विद्युत के जनरेटर्स मोटर्स और
ट्रान्सफार्मर्स आदि
बनाने सम्भव हुए हैं
इलेक्ट्रोमेग्नेटिक इन्डक्शन का सिद्धान्त
जब कोई क्वाइल, किसी परिवर्तनशील
चुम्बकीय
क्षेत्र के सम्पर्क में आती है तो उस क्वाइल मे
वोल्टेज उत्पन्न होते हैं, जिसे इन्ड्यूस्ड वोल्टेज
(Induced Voltage) या e.m.f. कहते हैं इस प्रकार
उत्पन्न वोल्टेज के
कारण उस क्वाइल में करेन्ट
बहने लगती है यह करेन्ट, उस
कारण का विरोध
करती है जिसके कारण क्वाइल
में वोल्टेज उत्पन्न
हए हैं इसके अलावा क्वाइल में करेन्ट बहने के
कारण इसके चारों ओर एक चम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न
होता है यह चुम्बकीय क्षेत्र, जब परिवर्तनशील
चुम्बकीय फ्लक्स को काटता है तो क्वाइल पर
एक बल उत्पन्न होता है इस बल के कारण
क्वाइल मे लगा रोटर घूमने लगता है
टार्क
वह बल, जो मोटर को घुमने के लिए आवश्यक
शक्ति प्रदान
करता है,
मोटर का टार्क कहलाता
है
जब मोटर प्रारम्भ में घुमना प्रारम्भ करती है, तब
उसे अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है वह
बल, जो जलाने के लिए आवश्यक होता है
स्टार्टिग टार्क
कहलाता है
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