ए. सी.
को डी.
सी. में
बदलने की
क्रिया रेक्टिफिकेशन कहलाती
है
रेक्टिफायर की
आउटपुट पर
पल्सेटिंग
डी. सी.
प्राप्त होती
है, जिसे
फिल्टर सर्किट
में फिल्टरनेशन द्वारा
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों
व सर्किटों
के कार्य
करने योग्य
बनाया जाता
है ।
रेडियो, टेपरिकार्डर, टेलीविजन,
वी. सी.
आर., कम्प्यूटर,
वीडियो गेम,
वीडियो
कैमरा, रोबोट,
पेजर, टेलीफोन,
उपग्रह से
लेकर अत्यन्त
अत्याधुनिक
इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों
के संचालन
हेतु
डी. सी.
की आवश्यक्ता
होती है।
जो उपकरण
सैल/बैटरी
पर कार्य
करते
हैं, उन्हें
ए. सी.
से चलाने
हेतु
रेक्टिफिकेशन की
क्रिया का
प्रबन्ध करना
आवश्यक हो
जाता है,
क्योंकि
ए. सी.
सरलतापूर्वक उपलब्ध
हो जाती
है। भारत
में घरों
व उद्योगों
के लिये
ए. सी.
प्राप्त होती
है, जो
220V,50Hz
की होती
है। किसी
भी उपकरण
का
वह भाग,
जो मेन
ए. सी.
को डी.
सी. में
परिवर्तित करने
के साथ-साथ
सर्किट की
उचित करेन्ट
व वोल्टेज
की
आवश्यकता पूरी
करता है,
पावर सप्लाई
कहलाता
रेक्टिफायर वह युक्ति कहलाती
है, जो
ए. सी.
को डी.
सी. में
परिवर्तित
करती है।
रेक्टिफायर इलेक्ट्रॉन ट्यूब
या
सेमीकन्डक्टर डायोड
के रूप
में प्रयोग
होते हैं।
इलेक्ट्रॉन ट्यूब
का प्रयोग
प्रायः समाप्त
ही हो
गया है
पल्सेटिंग वोल्टेज-
पल्सेटिंग से
तात्पर्य है
कि रेक्टिफायर की आउटपुट पर
प्राप्त रिपल
वोल्टेज में
ए. सी.
के
अंशों का
होना ।
हाफ वेव
रेक्टिफायर में
रिपल फ्रीक्वेन्सी मेन फ्रीक्वेन्सी के
बराबर या
50Hz होती है,
जबकि
फुल वेव
में रिपल
फ्रीक्वेन्सी दो
गुनी अर्थात्
100Hz होती है।
पल्सेटिंग
डी. सी.
के लिये
अंग्रेजी में
यह भी
कहावत है
कि-A current that changes in value but
not in
direction. सेमीकन्डक्टर डायोड
रेक्टिफायर के
रूप में-
रेक्टिफायर डायोड
एक स्विच
की तरह
कार्य
करता है
जो ए.
सी. करेन्ट
की पोजिटिव
हाफ साइकिल
या फारवर्ड
सप्लाई पर
सर्किट को
ऑन कर
देता है
और
शून्य रैजिस्टेन्स प्रदान
करता है,
जबकि
निगेटिव हाफ साइकिल पर या रिवर्स सप्लाई पर सर्किट को ऑफ करता
है तो रैजिस्टेन्स बहुत अधिक होती है
1 हॉफ वेव रेक्टिफायर (Half wave rectifier)
2 फुल वेव रेक्टिफायर (Full wave
rectifier)
हॉफ वेव रेक्टिफायर- डायोड में करेन्ट केवल ए. सी. की पोजिटिव हॉफ
साइकिल के समय ही बह
सकता है। इसीलिये इसे हॉफ वेव
रेक्टिफायर कहते हैं
हॉफ वेव रेक्टिफायर में केवल एक डायोड का प्रयोग
होता है। हॉफ
वेव रेक्टिफायर पोजिटिव हॉफ
साइकिल पर ही कार्य करता है। निगेटिव साइकिल का
इसमें
कोई प्रयोग नहीं होता तथा पोजिटिव
साइकल का एक हॉफ भाग भी बेकार जाता है। इसलिये
हॉफ वेव
रेक्टिफायर की एफिशियन्सी बहुत कम
(लगभग 40.6%) होती है।
![]() |
Half wave rectifier |
हॉफ
वेव रेक्टिफायर का डायग्राम इसलिये हॉफ वेव
रेक्टिफायर का प्रयोग केवल उन्हीं सर्किटों में करना
चाहिये जहां कम करेन्ट की आवश्कता होती है
फुल
वेव रेक्टिफायर- फुल वेव रेक्टिफायर में दो डायोडों का प्रयोग
करके
पोजिटिव की दोनों हॉफ साइकिलों को रेक्टिफाई करते हैं।
फुल वेव रेक्टिफायर के लिये एक सेन्टर टेप का
ट्रांसफार्मर प्रयोग
करते
हैं, जिसमें
सेन्टर टेप एक
प्रकार
का निगेटिव पोल होता है फुल वेव रेक्टिफायर में दो
डायोड D1 और D2 प्रयोग होते हैं, जिनके
एनोड ट्रांसफार्मर की सैकेण्डरी वाइण्डिग में जुड़े होते हैं
और दोनों
डायोडों
के कैथोड आपस में जुड़े
होते हैं। पहले पोजिटिव हॉफ साइकिल पर पहला डायोड
फारवर्ड
बायस
पर और दूसरा रिवर्स बायस
पर ऑपरेट होता है। इसी प्रकार दूसरे पोजिटिव हॉफ
साइकिल पर
दूसरा
डायोड फारवर्ड बायस पर
और पहला डायोड रिवर्स बायस पर ऑपरेट होता है।
अतः जब
डायोड D1 कार्य करता है, तो उस
समय D2 ऑफ रहता है। इसी प्रकार जब
डायोड D2 कार्य करता है,
तो उस
समय डायोड D1 ऑफ
रहता
है। इस प्रकार प्रत्येक पोजिटिव हॉफ साइकिल पर डायोड
D1 और डायोड D2 बारी-बारी
कार्य करते हैं। इसकी आउटपुट
के
अनुसार लगातार एक ही दिशा की पल्सेज के रूप में प्राप्त
होती है। फुल वेव । रेक्टिफायर से
हॉफ वेव रेक्टिफायर की तुलना में अधिकतम
एफिशियन्सी (लगभग
81.2%) प्राप्त होती है
- Full-wave rectification
ब्रिज
रेक्टिफायर (Bridge Rectifier)-ब्रिज रेक्टिफायर से फुल वेव
रेक्टिफायर
की तुलना में अधिक
करेन्ट
प्राप्त होती है। इसमें चार डायोड प्रयोग होते हैं। यह सर्किट
भी फुल
वेव रेक्टिफायर के समान
कार्य
करता है। इसमें सेन्टर टेपिंग युक्त ट्रांसफार्मर का प्रयोग
नहीं होता पोजिटिव हॉफ साइकिल
के समय डायोड D2 और डायोड D4 कार्य
करते हैं, जबकि
डायोड
D1 और D3 कार्य नहीं करते
अगली पोजिटिव हॉफ साइकिल के समय
ट्रांसफार्मर की सैकेण्डरी
का ऊपर
का भाग निगेटिव और
नीचे का भाग पोजिटिव हो जाता
है। अतः जब डायोड D1 और
D3 कार्य करते हैं, उस समय डायोड
D2 व D4 कार्य नहीं करते और यह क्रम इसी
प्रकार चलता रहता
है।
ब्रिज रेक्टिफायर की आउटपुट
पर प्राप्त करेन्ट फुल वेव
रेक्टिफायर से दो गुना अधिक प्राप्त
होती
है
![]() |
Bridge Rectifier |
ब्रिज
रेक्टिफायर प्रयुक्त डायग्राम फिल्टर सर्किट (Filter
Circuit)-
रेक्टिफायर
की आउटपुट पर प्राप्त डी. सी. | किसी भी प्रकार की
ट्यूब, ट्रांजिस्टर, आई. सी. व अन्य
इलेक्ट्रॉनिक्स
उपकरणों या सर्किटों के कार्य करने के लिये सहायक
नहीं होती क्योंकि रेक्टिफायर की आउटपुट पर पल्सेटिंग
डी. सी. प्राप्त होती है, जिसमें ए. सी. रिप्पल और पल्सेशन्स
मौजूद
होते हैं फिल्टर सर्किट द्वारा
शुद्ध
डी. सी. प्राप्त करते हैं। फिल्टर सर्किट प्रयोग होने. वाले
मुख्य
कम्पोनेन्ट्स चोक, क्वाइल
और
कैपेसिटर होते हैं। फिल्टर होने के बाद रेक्टिफायर सर्किट की
आउटपुट
पर 1.4 गुनी अधिक
वोल्टेज
प्राप्त होती हैं। यदि 6V अशुद्ध डी. सी. को फिल्टर
किया गया है
तो 6Vx1.4 = 8.4V के
लगभग डी. सी. वोल्टेज प्राप्त
होंगी। लेकिन ये वोल्टेज बिना
लोड डाले होंगी । मुख्यतः फिल्टर
सर्किट दो प्रकार के होते हैं
(1) चोक इनपुट फिल्टर सर्किट (Choke input filter circuit)
(2) कन्डेन्सर इनपुट फिल्टर सर्किट (Condenser input filter circuit)
चोक
इनपुट फिल्टर सर्किट–चोक इनपुट सर्किट में रेक्टिफायर
आउटपुट
की सीरीज में पहली कम्पोनेन्ट चोक (क्वाइल) सीरीज में जुड़ी
होती है
![]() |
Condenser input filter circuit |
चोक
इनपुट फिल्टर सर्किट |चोक, फिल्टर सर्किट में ए. सी.
रिप्पल के रास्ते में रूकावट पैदा करती
है यदि
चोक से प्रवाह होने के पश्चात् भी ए. सी. रिप्पल रहते
हैं तो
कन्डेक्सर C उन्हें अर्थ कर
देता
है चोक के स्थान पर प्रायः रेजिस्टेन्स भी प्रयोग करते हैं।
चोक
इनपुट फिल्टर सर्किट के
प्रयोग
करने के बाद भी डी. सी. आउटपुट में भी कुछ प्रतिशत ए.
सी.
रिप्पल मिलते हैं, परन्तु
उनकी
मात्रा
इतनी कम होती है कि सर्किट की कार्यक्षमता पर विशेष
प्रभाव
पैदा नहीं करती
![]() |
capacitor filter circuit |
कन्डेन्सर इनपुट फिल्टर सर्किट-इस प्रकार के फिल्टर
सर्किट में।
रेक्टिफायर से अगला कम्पोनेन्ट
कन्डेन्सर होता है, जो
प्रायः चोक से पहले लगाते हैं।कैपेसिटर फिल्टर
सर्किट
रेक्टिफायर
की आउटपुट पर प्राप्त वोल्टेज
से कन्डेन्सर चार्ज
होता है, जो चोर और लोड में डिस्चार्ज
होता है। जो वेव्स
चोक को
पार कर जाती हैं वह कैपेसिट C2 द्वारा समाप्त कर
दी जाती हैं। इसी कारण कैपेसिटर
इनपुट फिल्टर
सर्किट की
आउटपुट वोल्टेज चोक इनपुट फिल्टर सर्किट की
आउटपुट
वोल्टेज से अधिक होती है। इसमें
एक दोष यह भी पाया जाता है
कि जब आउटपुट वोल्टेज पर लोड का
दबाव बढ़ता है
तब वोल्टेज शीघ्रता से कम हो
जाती है वोल्टेज डबलर (Voltage
Doubler)-वोल्टेज
डबलर प्राप्त इनपुट
वोल्टेज को दुगुनी (double) कर देता है। जहां अधिक डी. सी.
वोल्टेज की आवश्यकता होती है।
वहां
वोल्टेज डबलर का प्रयोग कर सकते
हैं।
वोल्टेज डबलर का सर्किट जिस समय
ट्रांसफार्मर की सैकेण्डरीवाइण्डिंगका'A' तथा 'B' सिरे
की अपेक्षा
पोजिटिव होता है तो D1 डायोड कार्य करता
है, जिससे C1कन्डेन्सर
सैकेण्डरी वोल्टेज के पीक मान
तक चार्ज हो जाता है और दूसरे
हॉफ साइकिल में
सैकेण्डरी का B
सिरा पोजिटिव होता है और A
सिरा निगेटिव । उस समय ड्रायोड D, कार्य नहीं करता
और D2 के
कार्य करने से पीक मान तक C2
कन्डेन्सर भी चार्ज हो जाता है। Cl व C2 के सीरीज में
जुड़ा होने
से X और Y सिरों के बीच वोल्टेज
इस प्रकार प्राप्त होती है जैसे
दो बैटरी सीरीज में जुड़ती हैं।
अधिक मान के कैपेसिटर प्रयोग करके
उपरोक्त सर्किट से अधिक लोड करेन्ट प्राप्त की जा
सकती है
![]() |
voltage doubler circuit |
जीनर डायोड के प्रयोग करके 6-9V का बैटरी
एलीमिनेटर बनाना में
जीनर डायोड के प्रयोग से बना
बैटरी एलीमिनेटर का
सर्किट दर्शाया गया है। ट्रांसफार्मर में सैकेण्डरी 6-9V की
डबल
टेपिंग दी हुई
है। 6V टेपिंग से 6V का और V टेपिंग से 9V
का जीनर डायोड अर्थ कर देते
हैं। जीनर डायोड का प्रयोग करने
से AC वोल्टेज 6-9V से अधिक होने पर भी डी. सी.
आउटपुट 6-9\' ही प्राप्त होगी रैजिस्टेन्सों का प्रयोग
करके वर्कशाप
के लिये 1.5V से 12V का एलीमिनेटर बनाना-निम्न में
1.5V से 12V का एलीमिनटेर का सर्किट दर्शाया
गया है। इस
सर्किट की विशेषता यह है कि इस सर्किट में 0-12V का
ट्रांसफार्मर ही प्रयोग करते है
और रेजिस्टेन्सों की मदद से
विभिन्न वोल्टेज 1.5V, 3V, 4.5V,6V, 7.5V,
9V और 12Vप्राप्त
करते हैं जिसमें रोटरी स्विच का
प्रयोग करके
आवश्यकतानुसार
वोल्टेज सलेक्ट कर सकते हैं
![]() |
zener diode doubler circuit |
सर्किट में सभी रैजिस्टेन्स 152/0.5W की कार्बन रैजिस्टेन्स ही
प्रयोग करें। | एलीमिनेटर सम्बन्धित अन्य जानकारी व
सर्किट हमारे प्रकाशन की ट्रांजिस्ट सर्विसिंग मैनुअल’ पुस्तक में
विभिन्न प्रकार के एलीमिनेटर सर्किट' अध्याय में देखें
![]() |
Rectifier circuit रेक्टिफायर सर्किट |
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